झारखंड विधानसभा चुनाव (Jharkhand Assembly Elections) के प्रथम चरण के चुनाव के ठीक पहले 22 नवंबर को बड़ा नक्सली हमला हुआ था। लातेहार के चंदवा में पुलिस टीम पर यह नक्सली हमला हुआ था। इस हमले में एसआई सुकरा उरांव और तीन होमगार्ड जवान जमुना प्रसाद, शंभू प्रसाद और सिकंदर सिंह शहीद (Martyr) हो गए।
उसके बाद नक्सलियों ने कई जगहों पर वोट बहिष्कार के पर्चे फेंके। नक्सलियों ने 29 नवंबर को भी गुमला, लातेहार जैसे कई इलाकों में चुनाव के बहिष्कार के पर्चे फेंके। गुमला, जहां शहीद (Martyr) सुकरा उरांव का परिवार रहता है। इस माहौल में भी शहीद (Martyr) सुकरा उरांव की पत्नी नीलमणि देवी बोलीं- वोट दूंगी और सबसे कहूंगी कि वोट दो, ताकि मेरे पति की शहादत व्यर्थ न जाए।
घाघरा के जगबगीचा में अपने परिवार के साथ रह रहीं शहीद (Martyr) सुकरा उरांव की पत्नी नीलमणि बोलीं कि पति की शहादत से तो मैं टूट ही गई थी। पर अब, धीरे-धीरे इस गम से उबर रही हूं। उन्हें याद था कि 30 नवंबर को मतदान का दिन है। उन्होंने ठान लिया कि कुछ भी हो, मतदान तो जरूर करूंगी। उन्होंने कहा कि वे 30 नवंबर को अपनी चार बेटियों और परिजनों के साथ पैतृक गांव चुमनु जाकर मतदान करेंगी।
वे बोलीं कि मैं दूसरे लोगों से भी अपील करूंगी कि वोट जरूर दें। शहीद (Martyr) सुकरा उरांव की 70 साल की मां गंदूरी उरांव ने भी लोगों से मतदान की अपील की। नीलमणि देवी ने भटके हुए लोगों से भी मुख्यधारा में लौटने की अपील की। उन्होंने कहा कि नक्सली जिन्हें मारते हैं वे भी तो आदिवासी हैं, इसी जमीन के बेटे हैं। फिर ये किसके हक की लड़ाई लड़ी जा रही है।
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