घाटी के नेताओं की रिहाई पर असमंजस, कानून व्यवस्था बिगड़ने की आशंका

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घाटी में पांच अगस्त को ऐहतियात के तौर पर बंद किए गए सभी नेताओं (Leaders) की रिहाई को लेकर अभी भी असमंजस की स्थिति बनी हुई है।

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हालांकि इस अवधि में पीडीपी के वरिष्ठ नेता और पूर्व मंत्री दिलावर मीर के अलावा गुलाम हसन मीर, अशरफ मीर तथा हाकिम यासीन समेत कुछ नेताओं (Leaders) को सशर्त रिहा कर दिया गया है, परंतु कद्दावर नेताओं (Leaders) में डॉ. फारूक अब्दुल्ला, उमर अब्दुल्ला तथा महबूबा मुफ्ती, सज्जाद लोन तथा शाह फैजल आदि अभी भी हिरासत में हैं। इनकी रिहाई को लेकर अभी भी असमंजस की स्थिति बनी हुई है। सूत्रों का कहना है कि यहां का शासन व प्रशासन इन दिग्गज नेताओं (Leaders) को भी रिहा कर सकता है बशर्ते ये सभी अपनी रिहाई के बाद किसी भी प्रकार की कानून व्यवस्था की समस्या न खड़ी करने का हलफनामा दें।

गौरतलब है कि घाटी के मुख्यधारा से जुड़े इन नेताओं (Leaders) के अलावा बड़ी संख्या में राजनीतिक कार्यकर्ताओं को भी शांतिभंग करने की आशंका के मद्देनजर हिरासत में लिया गया है। दिलचस्प बात यह है कि कश्मीर में सर्वाधिक भारत विरोधी आपत्तिजनक भाषा बोलने वाले चरमपंथी अलगाववादी नेता सईद अली शाह गिलानी तथा आल पार्टी हुर्रियात के चेयरमैन मीरवायज उमर फारूक अपने घर में चुपचाप बैठे बताए गए हैं। सूत्रों का कहना है कि घाटी के तमाम अलगाववादी नेताओं (Leaders) पर भी पैनी नजर रखी जा रही है।

इतिहास में आज का दिन – 30 नवंबर

बताते चलें कि पीडीपी प्रमुख और पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने सूबे से विवादित अनुच्छेद 370 व 35ए को हटाए जाने से पहले इसे लेकर कई प्रकार के घोर आपत्तिजनक बयान दिए थे परंतु नजरबंदी के बाद महबूबा मुफ्ती खामोश हैं। उनकी जगह उनकी बेटी इल्तिजा उनके ट्विटर हैंडल का इस्तेमाल करते हुए अपनी मां महबूबा मुफ्ती को लेकर बयानबाजी करती रहती हैं। इल्तिजा अपनी मां से मुलाकात करने को लेकर सुप्रीम कोर्ट तक गईं थीं परंतु इन सबके बावजूद घाटी में उक्त तमाम नेताओं (Leaders) के प्रति आम कश्मीरी के मन में कोई हमदर्दी दिखाई नहीं देती। यही वजह है कि गत अगस्त से नजरबंद मुख्यधारा के नेताओं (Leaders) की रिहाई को लेकर कोई भी आम कश्मीरी आवाज नहीं उठा रहा। बल्कि एक वर्ग का यह भी मानना है कि यदि इन तमाम बड़े नेताओं (Leaders) ने भ्रष्टाचार व घोटाले किए हैं तो इन्हें कड़ी सजा मिलनी चाहिए।

मालूम हो कि घाटी में सर्दी के बढ़ने के साथ ही 30 से ज्यादा नजरबंद किए गए नेताओं (Leaders) को अन्य जगहों से श्रीनगर के एमएलए हॉस्टल में शिफ्ट कर उसे उपजेल बना दिया गया है लेकिन गत दिनों वहां अचानक पुलिस व अर्धसैनिकबलों द्वारा चलाए गए तलाशी अभियान में बड़ी संख्या में मोबाइल फोन व अन्य सामग्री मिली थी। इस पर अतिरिक्त पुलिस महानिदेषक सुरक्षा मुनीर खान ने कहा कि चुंकि अब श्रीनगर एमएलए हॉस्टल एक उप-जेल बना दिया गया है, इसलिए यहां जेल के नियम लागू होते हैं। यहां बंद नेताओं (Leaders) को जेल के नियमों का अनुपालन करना ही होगा।

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