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जानिए Article 370 और 35 A के बारे में, अब बदल जाएगी सूरत

Article 35 A के तहत अस्थाई निवासियों पर हैं प्रतिबंध। सांकेतिक तस्वीर।

जम्मू-कश्मीर में पिछले कुछ दिनों से सैन्य हलचल के साथ ही सियासी हलचल भी तेज है। प्रशासन ने जम्‍मू में 5 अगस्त सुबह 6 बजे से धारा 144 लगा दी है। इसके अलावा जम्‍मू के 8 जिलों में सीआरपीएफ की 40 कंपनियां तैनात की गई हैं। श्रीनगर में भी धारा 144 लगा दी गई है। सभी शिक्षण संस्‍थान बंद कर दिए गए हैं। 4 अगस्त की रात से श्रीनगर समेत कई इलाकों में इंटरनेट और मोबाइल सेवाएं भी बंद कर दी गई हैं। इन सब के केन्द्र में हैं अनुच्छेद 370 और अनुच्छेद 35A। इनके अंतर्गत जम्मू-कश्मीर के नागरिकों को विशेष अधिकार मिले हुए हैं। 5 अगस्त को गृहमंत्री अमित शाह ने राज्ससभा में Article 370 खत्म करने का विधेयक पेश किया। आइए जानते हैं अनुच्छेद 370 और अनुच्छेद 35A के बारे में और आखिर क्यों इस पर इतना विवाद है?

अनुच्छेद 35A

अनुच्छेद 35A जम्मू-कश्मीर विधानसभा को राज्य के ‘स्थायी निवासी’ की परिभाषा तय करने का अधिकार देता है। अस्थायी नागरिक जम्मू-कश्मीर में न स्थायी रूप से बस सकते हैं और न ही वहां संपत्ति खरीद सकते हैं। उन्हें कश्मीर में सरकारी नौकरी और छात्रवृत्ति भी नहीं मिल सकती। 14 मई, 1954 को राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने एक आदेश पारित किया था। इस आदेश के जरिए संविधान में एक नया अनुच्छेद 35 A जोड़ा गया।

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साल 1956 में जम्मू कश्मीर का संविधान बना जिसमें स्थायी नागरिकता को परिभाषित किया गया। जम्मू कश्मीर के संविधान के मुताबिक, स्थायी नागरिक वह व्यक्ति है जो 14 मई, 1954 से राज्य का नागरिक रहा हो या फिर उससे पहले के 10 सालों से राज्य में रह रहा हो और उसने वहां संपत्ति हासिल की हो। इसके अलावा, जम्मू-कश्मीर की कोई महिला अगर भारत के किसी अन्य राज्य के व्यक्ति से शादी कर लेती है तो उसके अधिकार छिन जाते हैं। हालांकि पुरुषों के मामले में ये नियम अलग हैं।

अनुच्छेद 370

यह अनुच्छेद जम्मू-कश्मीर को विशेष अधिकार देता है। इसके मुताबिक, भारतीय संसद जम्मू-कश्मीर के मामले में सिर्फ तीन क्षेत्रों-रक्षा, विदेश मामले और संचार के लिए कानून बना सकती है। इसके अलावा किसी कानून को लागू करवाने के लिए केंद्र सरकार को राज्य सरकार की मंजूरी चाहिए होती है।

इन अनुच्छेदों को हटाने का विरोध करने वालों का सोचना है कि यह कश्मीर को भारत से जोड़ने का जरिया है। वहीं इसे हटाने का समर्थन करने वालों का कहना है कि ये भारत की भावना के खिलाफ और अलगाववाद को बढ़ावा देने वाले प्रावधान हैं। जबकि कश्मीर भी भारत का अभिन्न अंग है। ये अनुच्छेद एक देश के नागरिकों के बीच ही भेद-भाव पैदा करते हैं।

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