चीन ने पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LaC) से अपने 10 हजार सैनिकों (PLA Troops) को वापस बुला लिया। ये –35 डिग्री सेल्सियस तापमान बर्दाश्त नहीं कर पा रहे थे। पिछले साल मई महीने से भारत और चीन के बीच एलएसी (LaC) पर दोनों देशों की तरफ से तनाव बना हुआ है। इसी तनाव में गलवान घाटी में दोनों सैनिकों के बीच आमना–सामना होने के कारण भारतीय सेना (Indian Army) के 20 जवानों की शहादत हुई थी और चीन के भी 40-45 सैनिक हताहत हुये थे। हालांकि चीन ने कभी भी अपने सैनिकों की शहादत की बात नहीं कबूली। इस झड़प के बाद से ही दोनों देशों से भारी तादात में सीमा पर जवान तैनात हैं‚ क्योंकि पूर्वी लद्दाख में इस समय –35 डिग्री से नीचे तापमान है।
लद्दाख दौरे पर चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत, अधिकारियों से लेंगे हालात का जायजा
एलएसी (LaC) पर हो रही भारी बर्फबारी के कारण पहाड़ बर्फ से ढ़क गए हैं। ऐसी मुश्किल परिस्थितियों में भारतीय जवान (Indian Army) मुस्तैदी से अपनी सीमा की रक्षा के लिए रात-दिन तैनात हैं, जबकि इन हालातों का सामना करना चीनी सैनिकों (PLA Troops) के लिए मुश्किल हो रहा है। चीनी सैनिकों की परेशानी को देखते हुए पीपुल्स लिब्रेसन आर्मी (PLA) ने पिछले 10 दिनों में अपने करीब दस हजार जवानों को वापस बुला लिया है।
सीमा के करीब अभी भी भारी तादात में चीनी सैनिकों (PLA Troops) का जमावड़ा
वहीं, सूत्रों का कहना है कि चीनी सैनिकों (PLA Troops) को अत्यंत कठिन इलाकों से हटाया गया है, जबकि जहां–जहां हालात अनुकूल हैं‚ वहां अभी भी भारी संख्या में तैनाती है। भारतीय सेना (Indian Army) की तरफ से इस बारे में अभी कुछ भी नहीं कहा है।
आज सेना प्रमुख एमएम नरवणे अपनी वार्षिक प्रेस कॉन्फ्रेंस करेंगे। ऐसी उम्मीद है कि आज संभवत: गलवान घाटी के मौजूदा हालात पर पत्रकारों के सवाल का जवाब दें। वहीं चीफ ऑफ डिफेंस स्टॉफ बिपिन रावत भी सोमवार से लद्दाख दौरे पर एलएसी (LaC) के हालात का जायजा लेने पहुंचे हुये हैं। ऐसे में आज की प्रेस कॉन्फ्रेंस में बिपिन रावत की रिपोर्ट का भी जिक्र सेना प्रमुख के द्वारा किया जा सकता है।