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छत्तीसगढ़: लॉकडाउन में नक्सलियों को नहीं मिल रहा जरूरत का सामान, खाने के भी पड़े लाले

कोरोना वायरस (Corona Virus) से फैली महामारी के मद्देनजर पूरे देश में लॉकडाउन (Lockdown) है। छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) के नक्सल प्रभावित इलाकों (Naxal Area) में भी इस लॉकडाउन का असर देखने को मिल रहा है। बाजार बंद हो जाने से ग्रामीणों को दैनिक उपयोग की सामग्री व राशन के अभाव में परेशानियों का सामना कारण पड़ रहा है।

लॉकडाउन में नक्सलियों के खाने के भी लाले पड़ गए हैं।

केवल ग्रामीण ही नहीं बल्कि नक्सलियों (Naxals) पर भी इस लॉकडाउन का असर हो रहा है। नक्सली इस लॉकडाउन के दौरान दाने-दाने के लिए मोहताज हो रहे हैं। प्रदेश भर में पूर्ण लॉकडाउन होने से ग्रामीणों के अपनी जरूरतों का सामान लेने दिक्कत हो रही हैं। लोग घंटों लाइन में लगकर सामान ले रहे हैं। ऐसे में नक्सलियों (Naxalites) तक भी खाद्य सामग्री नहीं पहुंच पा रही है।

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इसके चलते नक्सली अंदरूनी इलाके के ग्रामीणों को राशन उपलब्ध कराने के लिए दबाव बना रहे हैं। जिले के धुर नक्सल प्रभावित चुनचुना-पुंदाग सीमावर्ती क्षेत्र होने के कारण यह नक्सलियों का पनाहगाह है। बलरामपुल जिले के ग्रामीण इलाके में रहने वाले लोगों के मुताबिक, जिले सहित ग्रामीण इलाके के बाजार बंद हैं और पुलिस भी मुस्तैद है। इसके कारण नक्सलियों (Naxalites) को आसानी से राशन नहीं मिल रहा है, जिससे नक्सली बौखलाए हुए है और वे जरूरत का सामान उपलब्ध कराने के लिए गांव वालों पर दबाव बना रहे हैं।

हालांकि, प्रदेश सरकार ने राशन कार्ड धारकों को अप्रैल और मई के लिए चावल, नमक और राज्य सरकार द्वारा कोरोना (Corona Virus) के संक्रमण को रोकने के हर संभव उपाय किए जा रहे हैं।

राज्य में कोरोना संक्रमण के प्रबंधन के तहत सार्वजनिक वितरण प्रणाली में प्रदेश के उचित मूल्य दुकानों से अन्त्योदय, प्राथमिकता, निःशक्तजन, एकल निराश्रित, निराश्रित एवं अन्नपूर्णा श्रेणी के राशन कार्डधारियों को अप्रैल एवं मई का चावल एक साथ वितरण करने का निर्णय लिया गया है। दो माह का चावल एक साथ वितरण के लिए खाद्य विभाग द्वारा एकमुश्त आवंटन जारी कर दिया गया है। लॉकडाउन की अवधि में किसी को खाने-पीने की दिक्कत नहीं हो, इसके लिए व्यवस्था शुरू कर दी गई है।