Bijapur Sukma Encounter: कोबरा कमांडो राकेश्वर सिंह (Rakeshwar Singh Manhas) की बहादुरी ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि हमारे जवान देश की रक्षा के लिए किसी भी कठिनाई का सामना करने के लिए तैयार रहते हैं।
बीजापुर नक्सली मुठभेड़ के बाद आखिरकार 5 दिन बाद नक्सलियों की कैद से कोबरा कमांडो राकेश्वर सिंह मनहास 8 अप्रैल को आजाद हो गए। नक्सलियों (Naxalites) ने उन्हें करीब चार बजे रिहा कर दिया। 3 अप्रैल को एंटी-नक्सल ऑपरेशन के दौरान नक्सलियों की गिरफ्त में आए इस जवान की रिहाई का इंतजार पूरा देश कर रहा था।
वहीं, राकेश्वर सिंह (Rakeshwar Singh Manhas) के आजाद होने की खबर के बाद जम्मू में उनके घर पर जश्न का माहौल है और उनकी पत्नी ने सभी का शुक्रिया अदा किया है।
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3 अप्रैल को जोनागुड़ा में हुई मुठभेड़ में गिरफ्त में लिए गए इस जवान की बहादुरी का हर कोई कायल हो चुका है। जवान ने विपरीत परिस्थियों में भी हौसला नहीं खोया और नक्सलियों की गिरफ्त में आने के बाद तो और ज्यादा हौसला दिखाया।
कोबरा कमांडो राकेश्वर सिंह (Rakeshwar Singh Manhas) की बहादुरी ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि हमारे जवान देश की रक्षा के लिए किसी भी कठिनाई का सामना करने के लिए तैयार रहते हैं।
कोबरा कमांडो बेहद ही घातक होते हैं और दुश्मन को बुरी तरह से परास्त कर ही दम लेते हैं। देश में 7 स्पेशल टास्क फोर्स हैं जिनमें से एक एक ‘कोबरा कमांडो’ भी है।
सेंट्रल रिजर्व पुलिस फोर्स यानी सीआरपीएफ (CRPF) की टास्क फोर्स ‘कोबरा कमांडो’ का नाम सुनते ही दुश्मन थर-थर कांप उठते हैं। दरअसल, यह स्पेशल टास्क फोर्स घने जंगलों में रहकर नक्सलियों से लोहा लेती है। कोबरा कमांडो अपनी जांबाजी के लिए जाने जाते हैं।
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यह अपनी चालाकी से दुश्मन को ढेर कर देते हैं। इन्हें चीते सी चाल और बाज सी नजर वाले कमांडोज कहा जाता है। कोबरा कमांडोज की युद्ध शैली के कायल विश्व के बड़े देश भी हैं।