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टीसीओसी कैंपेन के दौरान नक्सली कर सकते हैं बड़ा हमला, हर मूवमेंट पर है सुरक्षाबलों की कड़ी नजर

सांकेतिक तस्वीर।

इस साल नक्सलियों (Naxals) के टीसीओसी (TCOC) को इसलिए भी खतरनाक माना जा रहा है क्योंकि नक्सलियों ने इस बार पीएलजीए सप्ताह एक हफ्ते की जगह पूरे साल मनाने का फैसला लिया है।

लाल आतंक के गढ़ बस्तर (Bastar) में नक्सलियों (Naxals) के खिलाफ लगातार अभियान चलाए जा रहे हैं। आए दिन नक्सलियों और सुरक्षाबलों के बीच मुठभेड़ की खबरें आती रहती हैं। सुरक्षाबलों को चकमा देने के लिए नक्सली नई-नई चालें भी चलते रहते हैं। अब जानकारी मिल रही है कि अब नक्सलियों ने बड़ा रणनीतिक फेरबदल किया है।

नक्सली, मार्च में महिला दिवस के बाद से चलाए जाने वाले टीसीओसी (टैक्टिकल काउंटर ऑफेंसिव कैंपेन) की शुरुआत इस बार जनवरी से ही करने वाले हैं। बता दें कि टीसीओसी (TCOC) के दौरान नक्सली (Naxalites) गांव-गांव में भर्ती अभियान चलाते हैं। इस दौरान नक्सली बड़े हमले करते हैं। बस्तर के जंगलों में नदी-नालों में जनवरी में पानी काफी नीचे उतर जाता है, ऐसे में जंगलों में मूवमेंट करना आसान हो जाता है।

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इसके अलावा गांव में भी लोग खेती-किसानी के काम से भी निपट जाते हैं, जिससे उन्हें अभियान से जोड़ने में सहूलियत होती है। ये खासकर पतझड़ के दौरान होता है, क्योंकि इस वक्त जंगलों में दूर तक नजर रखना आसान होता है। जनवरी-फरवरी में की गई तैयारियों के बाद पतझड़ के दौरान वे बड़ी वारदात कर सकते हैं।

नक्सलियों ने इस बार पीएलजीए सप्ताह एक हफ्ते की जगह पूरे साल मनाने का फैसला लिया है, इसलिए इस साल नक्सलियों (Naxals) के टीसीओसी (TCOC) को खतरनाक माना जा रहा है। खुफिया एजेंसियों और सुरक्षाबलों तक जो खबरें पहुंची हैं उनके अनुसार, नक्सलियों ने टीसीओसी की तारीखें पिछले साल बदली थी और वे इस साल भी उसी रणनीति पर काम कर रहे हैं। ऐसे में अलग-अलग सुरक्षाबल और खुफिया एजेंसियां नक्सलियों की हर मूवमेंट पर बारिकी से नजर बनाए हुई हैं।

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हालांकि, अभी यह स्पष्ट नहीं हुआ है कि नक्सली टीसीओसी (TCOC) की शुरुआत जनवरी के किस तारीख से करने वाले हैं। पुलिस अफसरों के अनुसार, नक्सली इसके लिए निश्चित समय नहीं रखते हैं। नक्सलियों के टीसीओसी के संबंध में अभी कोई पर्चा बरामद नहीं हुआ है जिससे यह स्पष्ट हो सके कि टीसीओसी कब से शुरू होगी।

टीसीओसी के दौरान नक्सली कर चुके हैं बड़े हमले

6 अप्रैल 2010: ताड़मेटला में पैरामिलिट्री फोर्स पर नक्सलियों का बड़ा हमला हुआ था, इसमें 76 जवान शहीद।

25 मई 2013: झीरम घाटी हमला, विद्याचरण शुक्ल, महेंद्र कर्मा समेत 30 से ज्यादा कांग्रेसी और जवान शहीद हुए।

11 मार्च 2014: टाहकवाड़ा में नक्सलियों का बड़ा हमला, इसमें 15 जवान शहीद हुए थे।

12 अप्रैल 2014: दरभा में एंबुलेंस को निशाना बनाया, 5 जवानों समेत 108 एंबुलेंस के पायलट और ईएमटी की मौत।