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बाहरी ताकतों से निपटने के लिए भारत में स्वदेशी तकनीकों का विकास बेहद जरूरी- आर्मी चीफ

सेना प्रमुख जनरल एमएम नरवणे (फाइल फोटो)

आर्मी चीफ जनरल एम एम नरवणे ने सोमवार को कहा कि संघर्ष के दौरान भारतीय सेना (Indian Army) के पूर्ण इस्तेमाल के लिए केवल स्वदेशी रूप से विकसित टेक्नोलॉजी ही उपलब्ध रहेंगी और ऐसे में विदेशी टेक्नोलॉजी पर निर्भरता कम करना अपरिहार्य है।

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फिक्की के एक कार्यक्रम में बोलते हुये आर्मी चीफ नरवणे ने बताया कि भारतीय सेना (Indian Army) तेजी से मॉडर्नाइजेशन के दौर से गुजर रही है और यह अपनी गतिविधियों के लिए अधिक से अधिक स्वदेशी समाधान तलाश रही है।

आर्मी चीफ नरवणे के अनुसार, “मैं वास्तव में मानता हूं कि संघर्ष के दौरान, युद्ध जैसी स्थितियों में, विभिन्न क्षेत्रों में पूर्ण इस्तेमाल के लिए केवल स्वदेशी रूप से विकसित टेक्नोलॉजी ही हमारे लिए उपलब्ध होंगी।” इस दौरान नरवणे ने इस बात पर खास जोर दिया कि उभरती सुरक्षा चुनौतियों का सामना करने और विदेशी टेक्नोलॉजी पर निर्भरता कम करने के लिए स्वदेशी और स्थानीय क्षमताओं का विकास करना अनिवार्य है।”

आर्मी चीफ नरवणे के मुताबिक, “सेना (Indian Army) विशेष रूप से इस पहल का नेतृत्व करने के लिए अधिक उपयुक्त है। भारत के पास एक विस्तृत औद्योगिक आधार है और हमें विश्वास है कि हथियारों की अधिकांश जरूरतों को घरेलू स्तर पर ही पूरा किया जा सकता है।”

आर्मी चीफ नरवणे ने आग बताया कि भारतीय सेना (Indian Army) में अधिग्रहण की औसत लागत कम है जो एमएसएमई और स्टार्ट-अप की व्यापक हिस्सेदारी की अनुमति देती है। नरवणे ने बताया कि आर्थिक मंदी के दौरान सरकार की आत्मनिर्भर भारत पहल से घरेलू उद्योग को बहुत बढ़ावा मिला है।

वहीं इस दौरान सेना के वाइस चीफ लेफ्टिनेंट जनरल शांतनु दयाल ने बताया कि साजो-सामान और टेक्नोलॉजी की खरीद के दौरान क्वालिटी और लागत भारतीय सेना (Indian Army) के लिए दो सबसे महत्वपूर्ण मुद्दे हैं। दयाल के अनुसार, हम इन साजो-सामान को बहुत ही चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों में तैनात करने जा रहे हैं, इसलिए उन्हें मजबूत और अच्छी क्वालिटी का होना चाहिए। ऐसे में भारतीय सेना खरीद के दौरान स्वदेशी हथियारों की हिस्सेदारी बढ़ाने जा रही है।

साभार- भाषा