दोनों देशों के बीच करीब 15 घंटे तक भीषण लड़ाई लड़ी गई थी। इसमें सीआरपीएफ (CRPF) के जवानों ने पाकिस्तानी जवानों को बुरी तरह से खदेड़ दिया था।
भारत और पाकिस्तान के बीच 1965 के युद्ध में हमारे वीर सपूतों ने दुश्मनों को मौत के घाट उतार दिया था। पाकिस्तान ने 1965 की लड़ाई से पहले ऐसी कई नापाक हरकतें शुरू कर दी थी जिसके चलते युद्ध होना तय हो गया था। दरअसल, 9 अप्रैल, 1965 की सुबह 3 बजे पाकिस्तान की 51 ब्रिगेड ने अपने 3500 सैनिकों के साथ रण ऑ कच्छ की ‘टाक’ और ‘सरदार पोस्ट’ पर हमला कर दिया था।
उन दिनों इस सीमा पर सीआरपीएफ (CRPF) और गुजरात राज्य पुलिस फोर्स तैनात रहती थी। दोनों देशों के बीच करीब 15 घंटे तक भीषण लड़ाई लड़ी गई थी। इसमें सीआरपीएफ के जवानों ने पाकिस्तानी जवानों को बुरी तरह से खदेड़ दिया था।
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हॉट स्प्रिंग की ठण्डी हवाओं से कच्छ के रण (गुजरात) में सरदार पोस्ट की रेगिस्तानी हवाओं व झुलसाने वाली गर्मी में भी मातृभूमि के प्रति प्यार और सर्वोच्च बलिदान के लिए उनकी तत्परता ने हमारे वीर जवानों की छोटी टुकडि़यों को दुश्मनों पर अंकुश लगाए रखने में सक्षम बनाए रखा और उन्होंने दुश्मनों के नापाक इरादों को ध्वस्त करने के लिए अंत तक मोर्चा संभाले रखा था।
ऐसा था घटनाक्रम: 9 अप्रैल से पहले यानी 8 अप्रैल, 1965 मेजर करनैल सिंह के बुलावे पर टॉक पोस्ट के कमांडर ब्रिजेश उनसे मिलने सरदार पोस्ट पहुंचे थे। इस दौरान चर्चा के दौरान सामने आया कि पाकिस्तान ने घुसपैठ करने के लिए दो स्टैंडिंग पोस्ट बनाई है। कंजरकोट और डींग। चर्चा में करनैल सिंह ने अन्य अधिकारियों को बताया कि भारत ने इन दो पोस्ट के जवाब में सरदार पोस्ट और टॉक पोस्ट बनाई है।
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चर्चा में यह भी बात सामने आई कि पाकिस्तान के लिए रण पर कब्जा करने का एक ही रास्ता है और वो है सरदार पोस्ट। इस दौरान पाकिस्तान ने शांति का प्रस्ताव भेजा लेकिन सीआरपीएफ (CRPF) के अधिकारियों को यह एक चाल लगी। इस दौरान अलर्ट रहते हुए नाइट पेट्रोलिंग को बढ़ा दिया गया। इस दौरान जमकर गोली बारी होने लगी।
पोस्ट पर भी तोप के गोल बरसने लगे। मतलब साफ था युद्ध छिड़ चुका था। उधर से भारी गोलीबारी के बीच मोर्टार शेलिंग के बीच हमारे जवानों ने दुश्मन पर जवाबी फायरिंग शुरू कर दी थी। पाकिस्तानी फौज एम एमजी और 25 पोंडेर तोपों से सरदार पोस्ट पर लगातार हमला कर रही थी। सीआरपीएफ अधिकारियों को इस दौरान पता चला कि पाकिस्तानी फोर्स की पूरी ब्रिगेड में 3500 आदमी है।
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लेकिन यह एक अनोकी जग थी, एक ऐसी जंग जिसमें चंद सौ सीआरपीएफ जवानों ने 3500 मजबूत पाकिस्तान ब्रिगेड के दांत खट्टे कर उनको पीछे धकेल दिया था। हर साल सीआरपीएफ इस एतिहासिक दिवस को ‘शौर्य दिवस’ के रूप में मनाती है।