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कारगिल युद्ध: …जब भारी बमबारी के बीच दहल उठा था भीमभट्ट गांव

Kargil War: 1999 के 60 दिनों के घटनाक्रम के बारे में सेना और सरकार द्वारा जो जानकारियां सामने आई हैं उसके मुताबिक युद्ध की नींव 1999 के फरवरी महीने में ही रख दी गई थी।

भारत और पाकिस्तान के बीच 1999 में लड़े गए कारिगल युद्ध में भारतीय सेना की जीत हुई थी। इस युद्ध में हमारे 527 जवानों ने शहादत दी थी, तब जाकर यह विजय हासिल हुई थी। पाकिस्तान ने इस युद्ध से पहले धोखे से कारगिल के सामरिक रूप से महत्वपूर्ण इलाकों पर कब्जा कर लिया था।

युद्ध लगभग 60 दिनों तक चला और 26 जुलाई को उसका अंत हुआ। 1999 के इस 60 दिनों के घटनाक्रम के बारे में सेना और सरकार द्वारा जो जानकारियां सामने आई हैं उसके मुताबिक युद्ध की नींव 1999 के फरवरी महीने में ही रख दी गई थी।

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युद्ध के दौरान करीब 2 महीने तक भारी गोलीबारी हुई थी। दोनों देशों ने इस दौरान जबरदस्त गोला बारूद का इस्तेमाल किया था। युद्ध के दौरान एक वक्त ऐसा भी आया था जब कारिगल में मौजूद भीमभट्ट गांव भी भारी बमबारी के बीच दहल उठा था। बमबारी के चलते इस गांव का आधा हिस्सा क्षतिग्रस्त हो गया था। वहीं कुछ लोग मारे भी गए थे। करगिल से करीब 50 किलोमीटर दूर भीमभट्ट वह गांव है, जो सबसे ज़्यादा बमबारी का शिकार हुआ

इस गांव में रहने वाले फार्मासिस्ट गुलाम रहीम ने उन दिनों को यादकर कई अनुभव साझा किए हैं। वे बताते हैं कि एक रोज जब वह सोकर ही उठे थे तो दो धमाकों से भीमभट्ट गांव दहल उठा था। यह मई महीने की बात थी।’

वे बताते हैं कि ‘हमें पता था कि जिस पहाड़ के पीछे से गोला-बारूद आ रहा है, उधर पाकिस्तान है। मेरा घर तोलोलिंग पहाड़ के ठीक सामने है। इस बमबारी के चलते गांव के सात लोग मारे गए थे। कई घर तो ऐसे हैं जो आज भी वैसी ही हालत में है और बमबारी की यादें ताजा करते हैं।’