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Kargil War 1999: युद्ध में 3 मई से 26 जुलाई के बीच क्या-क्या हुआ था? यहां जानें सबकुछ

फाइल फोटो।

Kargil War 1999: शिमला समझौते के तहत भारत और पाकिस्तान के बीच 1972 में एग्रीमेंट हुआ था। समझौते के तय हुआ था कि विंटर सीजन में दोनों देशों की सेनाएं एलओसी (LoC) पर पीछे हटा ली जाएंगी।

भारत और पाकिस्तान के बीच 1999 में लड़े गए कारगिल युद्ध (Kargil War 1999) के दौरान भारतीय सेना (Indian Army) के वीर सपूतों ने दुश्मनों को भगा-भगाकर मारा था। कश्मीर (Kashmir) हड़पने की सपना लेकर आए पाकिस्तानी जवान जंग के मैदान में बुरी तरह से विफल साबित हुए थे। इस युद्ध की वजह थी पाकिस्तान का धोखा।

शिमला समझौते के तहत भारत और पाकिस्तान के बीच 1972 में एग्रीमेंट हुआ था। समझौते के तय हुआ था कि विंटर सीजन में दोनों देशों की सेनाएं एलओसी पर पीछे हटा ली जाएंगी। पाकिस्तान ने 1999 में ऐसा नहीं किया, बल्कि भारत की 400 पोस्ट पर कब्जा जमा लिया। इसके बाद 3 मई, 1999  को एक चरवाहे ने सेना को कारगिल में पाकिस्तानी सेना के घुसपैठ कर कब्जा जमा लेने की सूचनी दी थी।

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इसके एक दिन बाद ही इस सूचना के आधार पर उस जगह पेट्रोलिंग करने गए हमारे सैनिकों को 5 मई के दिन पाकिस्तानी सेना ने पकड़ लिया और उनमें से 5 की हत्या कर दी थी। वहीं, 9 मई को पाकिस्तानियों की गोलाबारी से भारतीय सेना का कारगिल में मौजूद गोला बारूद का स्टोर नष्ट हो गया था। 10 मई  के दिन पहली बार लद्दाख का एंट्री गेट यानी द्रास, काकसार और मुश्कोह सेक्टर में पाकिस्तानी घुसपैठियों को देखा गया था।

इसके बाद 26 मई इंडियन एयरफोर्स (Indian Air Force) को कार्रवाई के लिए आदेश दिया गया और 27 मई  के दिन कार्रवाई में भारतीय वायुसेना ने पाकिस्तान के खिलाफ मिग-27 और मिग-29 का भी इस्तेमाल किया गया। जुलाई के आधे से ज्यादा महीने में भी दोनों देशों की सेनाएं आमने-सामने थी।

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इसके बाद 26 जुलाई को कारगिल युद्ध आधिकारिक तौर पर समाप्त हो गया था। धोखेबाजी का बदला लेने के लिए भारतीय सैनिकों ने करीब 2 महीने तक अलग-अलग ऑपरेशन लॉन्च कर दुश्मन को धूल चटा दी थी। इस युद्ध में भारत के करीब 522 जवान शहीद हुए थे।