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War of 1948: जब कश्मीर में पाकिस्तानी कबायलियों ने कलमा पढ़ने वालों को मारी गोली, जानें पूरी कहानी

File Photo

War of 1948:करीब 2 हजार की संख्या में कश्मीर में घुसपैठ कर इन कबायलियों ने लूट-खसोट और महिलाओं का रेप तक किया। जिसे चाहा उसे मौक के घाट उतार दिया।

भारत और पाकिस्तान बंटवारे के बाद 1948 में जंग (War of 1948) के मैदान में आमने-सामने थे। भारत और पाकिस्तान का 1947 के में विभाजन हो गया था। पाकिस्तान हमसे वह सब छीन लेना चाहता था जो बेशकीमती था। भारत ने ऐसा नहीं होने दिया। भारत ने अपने मुताबिक जो पाकिस्तान को देना था वो दिया। पाकिस्तान कश्मीर की मांग की तो इसे पूरा नहीं किया गया। कश्मीर को भारत में शामिल करवा लिया गया।

साल 1948 के युद्ध में भारतीय सेना ने कश्मीर की हिफाजत के लिए पाकिस्तानी सैनिकों और कबायलियों को नेस्तनाबूद कर दिया था। पाकिस्तानी सेना जितनी बदतमीज थी उससे कहीं ज्यादा कबायली। करीब 2 हजार की संख्या में कश्मीर में घुसपैठ कर इन कबायलियों ने लूट-खसोट और महिलाओं का रेप तक किया। जिसे चाहा उसे मौक के घाट उतार दिया।

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युद्ध के दौरान करीब 2,000 कबायली लड़ाकों ने तड़के मुजफ्फराबाद पर धावा बोल दिया था। इस युद्ध के दौरान क्या क्या हुआ और किस तरह कलमा न पढ़ सकने वालों के मौत के घाट उतार दिया गया इसकी जानकारी गढ़ी हबीबुल्लाह से 80 किलोमीटर की दूरी पर बट्टग्राम के गौहर रहमान ने साझा की है।

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उन्होंने एक बीबीसी न्यूज वेबसाइट से बातचीत में कहा, ‘कबायलियों ने सरकारी हथियार लूटे, पूरे बाजार को जलाया और उनका सामान लूट लिया था। इंसानियत के दुश्मनों ने उन सभी को गोली मार दी जो कलमा नहीं पढ़ सके। कई गैर-मुस्लिम महिलाओं को गुलाम बनाया और बहुत से लोग पकड़े जाने से बचने के लिए नदी में कूद गए थे। मुज़फ्फराबाद की सड़कें वहां हुई कत्लोगारत और बर्बादी की कहानी कह रही थीं।’