Kargil War: कैप्टन विजयंत थापर (Vijayant Thapar) को कारगिल के ‘हीरो’ में शामिल किया जाता है। तोलोलिंग पोस्ट जीत जाने के बाद उन्होंने अपनी मां तृप्ति थापर को फोन किया था।
भारत और पाकिस्तान के बीच 1999 में कारगिल का युद्ध लड़ा गया था। इस युद्ध में भारतीय सेना ने बेहतरीन प्रदर्शन कर दुश्मनों को चारों खाने चित कर दिया था। युद्ध में यूं तो सभी जवानों का योगदान था लेकिन कुछ जवान ऐसे थे जिन्होंने अपने प्रदर्शन से सभी का ध्यान अपनी ओर खींचा। ऐसे ही एक जवान थे कैप्टन विजयंत थापर (Vijayant Thapar)। 26 दिसंबर 1976 को जन्मे विजयंत का बुलंद हौसला ही था कि उन्हें कारगिल के ‘हीरो’ में शामिल किया जाता है। युद्ध के दौरान तोलोलिंग पोस्ट जीत जाने के बाद उन्होंने अपनी मां तृप्ति थापर को फोन किया था।
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उनकी मां बताती हैं कि ‘तोलोलिंग पर 12 जून 1999 को फतेह करने के बाद शहीद कैप्टन विजयंत थापर से फोन पर बात हुई थी। उसने ही मुझे फोन किया था। तोतलिंग पर जीत के बाद वे बेहद खुश थे। उसने बताया था कि अब पंद्रह हजार फीट ऊंची और माइनस 15 डिग्री तापमान में नॉ पर विजय हासिल करने जाना है और 20 दिन तक बात नहीं हो पाएगी। लेकिन उससे पहले ही मेरे बेटे का पार्थिव शरीर घर पहुंच चुका था।’
बता दें कि थापर को सेना में शामिल हुए महज 6 महीने ही हुए थे और उन्हें युद्ध क मैदान में जाना पड़ गया था। थापर इस जंग में देश के लिए कुर्बानी देने वाले सबसे कमउम्र जांबाज थे। इस ऑपरेशन में थापर को पाकिस्तानियों को खदेड़ने की जिम्मेदारी मिली थी। नॉ पर विजय हासिल करना पूरी तरह से सफल रहा लेकिन भारत ने अपने वीर सपूत को खो दिया।
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