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एक तरफ दादी का अंतिम संस्कार तो दूसरी तरफ भारत मां की रक्षा, कारगिल युद्ध में बुलावे पर जवान ने लिया था ये फैसला

Kargil War 1999: सिपाही मेजर सिंह (Sepoy Major Singh) ने शहीद होने से पहले जो काम किया, वह हर देशवासी के लिए प्रेरणास्रोत है।

भारत और पाकिस्तान के बीच 1999 में कारगिल युद्ध (Kargil War) लड़ा गया था। इस युद्ध में भारतीय सेना (Indian Army) को शानदार जीत हासिल हुई थी। पाकिस्तान (Pakistan) भारतीय सेना के शौर्य के आगे कहीं भी टिक नहीं सका। हमारे जवानों ने युद्ध में ऐसा पराक्रम दिखाया जिसे याद कर दुश्मन देश आज भी कांप उठता होगा।

इस युद्ध में एक जवान ने देश प्रेम को सर्वोपरि माना था, जिसकी मिसाल आज तक दी जाती है। इस जवान का नाम सिपाही मेजर सिंह (Sepoy Major Singh) था। शहीद होने से पहले इन्होंने जो काम किया वह हर देशवासी के लिए प्रेरणास्रोत है।

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दरअसल, कारगिल युद्ध में बुलावे से पहले वे अपनी बीमार दादी से मिलने पहुंचे थे। मिलने के कुछ देर बाद ही दादी गुजर गईं। वह महज एक घंटे की छुट्टी लेकर दादी से मिलने पहुंचे थे। इसी दौरान युद्ध में जाने का बुलावा आ गया। एक तरफ दादी का अंतिम संस्कार था, तो दूसरी तरफ भारत मां की रक्षा की जिम्मेदारी।

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उन्हें आठ सिख यूनिट पठानकोट के मामून कैंट में तैनाती का आदेश मिला था। मेजर सिंह (Sepoy Major Singh) अपनी दादी के अंतिम संस्कार पर नहीं रुके। गुरदासपुर के कस्बा दीनानगर के गांव भगवां के शहीद मेजर सिंह ने जंग के मैदान में दुश्मनों से लोहा लिया और लड़ते-लड़ते शहीद हो गए। एक जवान का देश प्रेम किस तरह का होता है, उन्होंने शहादत से पहले यह दिखा दिया था।