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रविंद्र कौशिक: इस ‘रॉ’ एजेंट की चतुराई के कायल थे सभी, इंदिरा गांधी ने दिया था ‘ब्लैक टाइगर’ का खिताब

रविंद्र कौशिक  (Ravindra Kaushik) ‘रॉ’ में जासूस बनने से पहले थियेटर करते थे। ‘रॉ’ को उनका अभिनय अपने काम के लिए यानी जासूसी के लिए परफेक्ट लगा था। यह 1975 की बात थी।

भारतीय खुफिया एजेंसी ‘रॉ’ दुनिया की सबसे खतरनाक खुफिया विभाग में से एक है। ‘रॉ’ के लिए काम करने वाले जासूस बेहद ही स्मार्ट और हर खतरे को पहले से भांप लेने में सक्षम होते हैं। भारतीय जासूस को लेकर कई तरह की फिल्में बनाई जा चुकी हैं।

क्या आपको पता है देश का सबसे चालाक जासूस किसे माना जाता है? दुनिया में जब जब दिलेर जासूसों की बात होती है तब तब इस शख्स का चेहरा सामने आता है। रविंद्र कौशिक (Ravindra Kaushik) उर्फ टाइगर की दास्तां जितने खतरों से भरी हुई है, उनके जासूसी की दुनिया में उतरने की कहानी भी उतनी ही दिलचस्प है।

खुफिया एजेंसी ‘रॉ’ की ये है खासियत, जानें इसके बारे में विस्तार से

रविंद्र कौशिक वह एजेंट जिनको भारत की तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने ‘ब्लैक टाइगर’ का खिताब दिया था। बताया जाता है कि वह ‘रॉ’ में जासूस बनने से पहले थियेटर करते थे। ‘रॉ’ को उनका अभिनय अपने काम के लिए यानी जासूसी के लिए परफेक्ट लगा था। यह 1975 की बात थी। श्री गंगानगर, राजस्थान के रहने वाले इस शख्स ने अपनी जासूसी से दुनिया को हिला कर रख दिया है।

आपको जानकर हैरान होगी कि भारत मां की रक्षा के लिए रविंद्र ने अपना देश तो छोड़ा ही साथ ही धर्म भी छोड़ा। पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी की नजर से बचने के लिए खतना तक कराया। उन्होंने पाकिस्तान से एलएलबी की थी और फिर सेना में भर्ती हुए थे। पाकिस्तान में उनका नाम नबी अहमद था। इनका दिमाग कितना शातिर होगा आप इसका अंदाजा इसी से लगा सकते हैं कि यह पाकिस्तानी सेना में मेजर पद पर भी काम कर चुके थे।

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1979 से 1983 तक उन्होंने भारतीय रक्षा बलों को काफी अहम सूचना मुहैया कराई। हालांकि, बाद में पहचान उजागर होने के बाद वह पाक सेना के कब्जे में रहे और 2 साल तक जेल में रहने के बाद गंभीर बीमारियों की चपेट में आने के बाद उनकी मौत हो गई।