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6 महीने पहले ही हुई थी शादी, नई-नवेली दुल्हन को जिंदगी भर के लिए तन्हा कर गए शहीद दीपक

पत्नी के साथ शहीद दीपक सिंह। (फाइल फोटो)

देश की रक्षा करते हुए मध्य प्रदेश के रीवा जिले का भी एक लाल शहीद हो गया। जिले के मनगवां थाना के फरेहदा गांव के दीपक सिंह लद्दाख के गलवान घाटी में 15 जून की रात चीनी सैनिकों से लड़ाई लड़ते हुए शहीद हो गए। सैनिक की शहादत की खबर मिलते ही इलाके में मातम छा गया है। गांव के लोग सुबह से ही शहीद दीपक सिंह (Martyr Deepak Singh) के घर में पहुंचने लगे। जहां अपने इस लाल के खोने का उन्हें गम था और सभी के आंखों में आंसू थे, वहीं इस बात को लेकर गर्व है कि विंध्य के लाल ने देश की रक्षा करते हुए अपने प्राण न्योछावर कर दिए।

मुख्यमंत्री ने दिया कंधा: गलवान घाटी में चीन के साथ हिंसक झड़प में शहीद हुए मध्य प्रदेश के वीर सपूत और रीवा के बेटे दीपक सिंह गहरवार को हजारों लोगों ने नम आंखों से अंतिम विदाई दी गई। बड़ी संख्या में लोग वीर शहीद की अंतिम झलक पाने, उन्हें अंतिम सलामी देने के लिए बेताब रहे। अपनी माटी के लाल को कंधा देने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भी गांव पहुंचे और वीर को अंतिम सफर में कंधा दिया।

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बचपन में ही सिर से उठ गया था ममता का साया: शहीद दीपक (Martyr Deepak Singh) की मां की मौत बचपन में ही हो गई थी। उनके पिता गजराज सिंह किसान हैं। दो भाइयों का लालन-पालन उनके पिता गजराज सिंह ने ही किया था। लद्दाख जाने के पहले वे गांव आए थे और लॉकडाउन के पहले ही फरवरी में वह डूयूटी पर चले गए थे। दीपक ड्यूटी पर जाने के दौरान यह कह कर गए थे कि गर्मी में छुट्टी मिलेगी तब वह गांव आएंगे, लेकिन लॉकडाउन के कारण वे गांव नहीं आ सके।

6 महीने पहले ही हुई थी शादी: शहीद दीपक (Martyr Deepak Singh) की शादी अभी 6 महीने पहले ही हुई थी। पिछले साल 16 दिसंबर को वे विवाह के बंधन में बंधे थे। शादी के 6 महीने में ही पत्नी का साथ छोड़कर इस वीर ने देश की रक्षा करते हुए अपने प्राण न्योछावर कर दिए।

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बड़े भाई भी हैं सेना में: शहीद दीपक सिंह के बड़े भाई प्रकाश सिंह भी भारतीय सेना (Indian Army) में हैं। पिता को इस बात का गर्व है कि उनके दोनों ही पुत्र देश की रक्षा कर रहे हैं। दोनों ही पुत्रों को वे शुरू से भारतीय सेना और देश भक्ति का जज्बा तैयार करते रहे हैं। यही वजह रही कि उनके पुत्रों में सेना के प्रति प्रेम रहा और वे बड़े होते ही सेना में गए।

शुरू से ही जाना चाहते थे सेना में: शहीद दीपक सिंह (Martyr Deepak Singh) की शुरुआती शिक्षा गांव के मनिकवार स्कूल से शुरू हुई थी। वे शुरू से ही सेना (Army) में जाने के लिए तैयारी करने में लग गए थे। वह अपने बड़े भाई से अक्सर सेना में नौकरी को लेकर जानकारी लेते थे। लगभग 5 साल पहले दीपक ने बिहार रेजींमेंट में सैनिक के पद पर सेना में ज्वाइन किया था। लेह लद्दाख से पहले वह देहरादून में तैनात थे। फरवरी में उनकी तैनाती लेह में हुई थी।