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इस परमवीर का आखिरी खत पढ़ रो पड़ेंगे आप! देश के लिए दी थी कुर्बानी

Kargil War: कुछ सैनिक ऐसे होते हैं जिनके शौर्य के किस्से हमेशा याद किए जाते हैं। ऐसे ही एक जवान लेफ्टिनेंट प्रवीण तोमर (Lieutenant Praveen Tomar) भी थे। शहीद होने से पहले उन्होंने एक खत लिखा था। 

भारत और पाकिस्तान के बीच 1999 में लड़े गए कारगिल युद्ध (Kargil War) में देश के वीर सपूतों ने जान की बाजी लगा दी थी। इस युद्ध में शहादत देकर जवानों ने देश की रक्षा की थी। पाकिस्तान के कश्मीर पाने की ख्वाब को नेस्तनाबूद कर दिया गया था।

दुश्मन कारगिल की 18 हजार फीट की ऊंचाई पर हमारे सिर पर बैठा था। पाकिस्तान इस युद्ध में ऊंचाई पर होने की वजह से बेहद ही फायदे में था, जबकि चढ़ाई करते भारतीय जवानों के लिए दुश्मनों तक पहुंचना बेहद ही चुनौतीपूर्ण था।

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यूं तो हर जवान का युद्ध में अहम योगदान था, लेकिन कुछ सैनिक ऐसे थे जिनके शौर्य के किस्से हमेशा याद किए जाते हैं। ऐसे ही एक जवान लेफ्टिनेंट प्रवीण तोमर (Lieutenant Praveen Tomar) भी थे। उन्होंने युद्ध में अपना जबरदस्त शौर्य दिखाया था। शहीद होने से पहले उन्होंने एक खत लिखा था।

जगरनॉट प्रकाशन की किताब में लेफ्टिनेंट प्रवीण तोमर के खत का जिक्र किया गया है। यह खत उन्होंने अपने दोस्त गगन को लिखा था। लेफ्टिनेंट प्रवीण तोमर (Lieutenant Praveen Tomar) ने अपने दोस्त को लिखा, “मेरे अगली कतार के सिपाही पूरी तरह साफ हो गए। वो या तो मारे गए या घायल हो गए और मेरी बाकी प्लाटून भी पस्तहाल है।”

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वे आगे लिखते हैं, “ये चमत्कार ही है कि अग्रिम टुकड़ी में होने के बावजूद मैं जिंदा और सुरक्षित हूं। मेरे पीछे और आसपास के लोग घायल हो गए थे, मैं बाल-बाल बचता रहा। मैंने पांच मीटर दूर उड़ते हुए चीथड़े देखे, लेकिन मैं सुरक्षित बच गया। मेरे 12 साथी अस्पताल में हैं।”