Hindi News (हिंदी समाचार), News in Hindi, Latest News In Hindi

कारगिल युद्ध: परमवीर चक्र विजेता कैप्टन मनोज पांडे के ये थे आखिरी शब्द, गजब की थी देशभक्ति

Kargil War 1999: गोली लगने के बाद भी मनोज के सिर पर दुश्मनों के खात्मे की धुन सवार थी। गोलियों ने उनका पूरा सिर ही उड़ा दिया और वो जमीन पर गिर गए।

कारगिल युद्ध 1999 में भारत और पाकिस्तान के बीच लड़ा गया था। इस युद्ध में परमवीर चक्र विजेता कैप्टन मनोज पांडे ने बेहद ही अहम भूमिका निभाई थी। वे जंग के मैदान में शहीद हो गए थे। उनके आखिरी शब्द थे, ‘ना छोड़नूं…’। मतलब था दुश्मनों को भूलकर भी मत छोड़ना।

मनोज ने इस युद्ध में हमेशा आगे बढ़कर नेतृत्व किया था। करीब दो महीने तक चले ऑपरेशन में कुकरथांग, जूबरटॉप जैसी कई चोटियों पर दोबारा कब्जा किया गया था। इन सभी जगहों पर कब्जा पाने के बाद उन्हें खालोबार चोटी पर कब्जा करने का लक्ष्य दिया गया था।

Coronavirus: देश में कम नहीं हो रहे कोरोना से मौत के आंकड़े, दिल्ली में कम हो रहा कहर

जंग (Kargil War) के मैदान में मनोज ने 3 बंकर ध्वस्त कर दिए थे। लेकिन जब वो चौथे बंकर में ग्रेनेड फेंकने की कोशिश कर रहे थे तो उनके बांए हिस्से में कुछ गोलियां लगीं और वो लहूलुहान हो गए थे। उनके पास से मशीन गन की गोलियां गुजरी थीं। उनके माथे के बीचों बीच चार गोलियां लगी थीं। पाकिस्तानी एडी मशीन गन इस्तेमाल कर रहे थे।

उनके साथी जवानों के मुताबिक गोली लगने के बाद भी मनोज के सिर पर दुश्मनों के खात्मे की धुन सवार थी। गोलियों ने उनका पूरा सिर ही उड़ा दिया और वो जमीन पर गिर गए। इस दौरान उन्होंने अपने आखिरी शब्द में कहा था ‘ना छोड़नूं…’।

मतलब था दुश्मनों को भूलकर भी मत छोड़ना। सेना ने भी उनके इस शब्दों और कुर्बानी का पूरा मोल रखा और दुश्मनों को भगा-भगाकर मारा था। इस युद्ध में भारतीय सेना की जीत हुई थी। पाकिस्तान को भारी नुकसान झेलना पड़ा था।