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कारगिल युद्ध में चुनौतियां थीं बड़ी, पर सेना के हौसलों के आगे सारी हुईं पस्त

Kargil War (File Photo)

Kargil War 1999: पाकिस्तान जिन पोस्टों पर था वहां से सैनिकों के मूवमेंट और स्ट्रैटजी को पहले ही जाना जा सकता था। पाकिस्तान ने कारगिल के ऊंचाई वाले सामरिक रूप से महत्वपूर्ण इलाकों पर धोखे से कब्जा किया हुआ था।

भारत और पाकिस्तान के बीच 1999 में कारगिल युद्ध (Kargil War) लड़ा गया था। इस युद्ध में पाकिस्तान को बुरी तरह से हार का सामना करना पड़ा था। पाकिस्तान ने कारगिल के ऊंचाई वाले सामरिक रूप से महत्वपूर्ण इलाकों पर धोखे से कब्जा किया हुआ था।

युद्ध (Kargil War) की शुरुआत  8 मई, 1999 से हुई थी। इसी दिन पाकिस्तानी फौजियों और कश्मीरी आतंकियों को कारगिल की चोटी पर देखे जाने की पुष्टि हुई थी। एक चरवाहे ने सेना (Indian Army) को घुसपैठ की जानकारी दी थी। दुश्मनों की ओर से 5000 से ज्यादा सैनिक कारगिल पर चढ़ाई के लिए भेजे गए थे।

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भारतीय सेना के सामने यही सबसे बड़ी चुनौती थी कि वे इन पोस्टों को अपने कब्जे में वापस कैसे ले। पाकिस्तान जिन पोस्टों पर था वहां से सैनिकों के मूवमेंट और स्ट्रैटजी को पहले ही जाना जा सकता था। कई मौकों पर हमारे सैनिक लड़ते हुए हताहत हुए क्योंकि दुश्मन उन्हें पहले ही देख लेते थे।

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इस वजह से सैनिक चुपके से रात के वक्त रास्ता नापते थे और दुश्मनों के इलाकों तक पहुंचते थे। रात में किसी को भनक न लगे इसके लिए गुपचुप तरीके से हथियारों को ढोया जाता था। गुपचुप तरीके से खाना खाया जाता था। जैसे ही दुश्मन के इलाके में कदम रखा जाता तो फायरिंग शुरू कर दी जाती। ऐसे कई मौकों पर सैनिकों ने दुश्मनों के कब्जे वाली पोस्ट को एक-एक कर के छुड़वाया था।