Kargil War: युद्ध में अजय को एक सैनिक टुकड़ी की कमान मिली थी और उनकी इसी टीम ने अनंतनाग के सिरोहाम की दो चौकियों पर तिरंगा लहराया था।
भारत और पाकिस्तान के बीच 1999 में लड़े गए कारगिल युद्ध (Kargil War) में देश के जवानों ने अपनी जान की बाजी लगाकर भारत मां की रक्षा की थी। हमारे देश के जवान भारतीय सरहद की रक्षा के लिए किसी भी हद तक जा सकते हैं। ऐसा कारगिल युद्ध में मेजर अजय प्रसाद ने कर दिखाया था। करगिल में शहीद हुए वीर सपूतों में एक नाम भोपाल के मेजर अजय प्रसाद का भी है।
अजय प्रसाद की बहादुरी की मिसाल आज भी पेश की जाती है। उन्होंने दुश्मनों को भारी नुकसान पहुंचाया था। वह 1986 में सेना में शामिल हुए थे। सेना में शामिल होने के बाद से वे श्रीलंका में लिट्टे से भिड़े थे और इसके बाद मिजोरम में उल्फा उग्रवादियों का भी सामना किया था। कारगिल युद्ध (Kargil War) में उन्होंने 2 चौकियों पर तिरंगा फहराया था।
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कारगिल युद्ध (Kargil War) में अजय को एक सैनिक टुकड़ी की कमान मिली थी और उनकी इसी टीम ने अनंतनाग के सिरोहाम की दो चौकियों पर तिरंगा लहराया था। जीत का सिलसिला आगे बढ़ रहा था। वह तीसरी चौकी की ओर बढ़ रहे थे लेकिन तभी अचानक ही पाकिस्तानी सैनिकों ने उनकी टीम पर हमला बोल दिया था।
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दुश्मनों ने बारूदी सुरंग में विस्फोट कर दिया था। इस विस्फोट में अजय प्रसाद शहीद हो गए थे। उनकी शहादत को आज 20 साल से ज्यादा हो गए हैं, लेकिन परिवार आज भी उन्हें हर दिन याद करता है। उनके पिता कहते हैं कि ऐसा लगता है उनका बेटा 20 नहीं बल्कि 200 सालों से उनसे दूर है।