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कारगिल युद्ध: जन्मदिन पर आने का किया था वादा, पहले ही देश के लिए शहीद हुआ ये जवान

Captain Saurabh Kalia

सौरभ (Captain Saurabh Kalia) 22 दिनों तक पाकिस्तान सेना की कैद में रहे और 9 जून 1999 को पाकिस्तानी सेना द्वारा उनके शव सौंपा गया। शव के साथ ऐसी बर्बरती की गई थी।

भारत और पाकिस्तान के बीच 1999 में लड़े गए कारगिल युद्ध (Kargil War) में इंडियन आर्मी (Indian Army) ने पाक सेना को बुरी तरह से हराया था। वीर सपूतों ने जंग के मैदान में ऐसा पराक्रम दिखाया था जिसे यादकर दुश्मन देश आज भी कांप उठता होगा।

पाकिस्तान धोखे से कश्मीर हड़पने आया था लेकिन सेना ने मुंहतोड़ जवाब देकर उसकी रणनीति को बुरी तरह फेल कर दिया था। भारत शांति के साथ इस मसले को हल करना चाहता था लेकिन पाकिस्तान ने भारत के एक वीर जवान के साथ ऐसी बर्बरता की भारत का खून खौल उठा।

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हम बात कर रहे हैं जाट रेजीमेंट के कैप्‍टन सौरभ कालिया (Captain Saurabh Kalia)  और उनके पांच साथी जवानों की। कालिया समेत अन्य सैनिकों को 15 मई, 1999 को पाकिस्तानी सैनिकों द्वारा जिंदा पकड़ लिया था।

सौरभ 22 दिनों तक पाकिस्तान सेना की कैद में रहे और 9 जून, 1999 को पाकिस्तानी सेना द्वारा उनके शव सौंपा गया। शव के साथ ऐसी बर्बरती की गई थी। इसके बाद भारतीय सेना (Indian Army) ने ऐसा पराक्रम दिखाया कि दुश्मनों की लाशें बिछा दी गईं। पाकिस्तान को हार का सामना करते हुए कब्जे वाले इलाकों से पीछा हटना पड़ा था।’

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कालिया की शहदत पर सौरभ (Captain Saurabh Kalia) के पिता नरेंद्र कुमार और मां विजय कालिया बताते हैं कि वह (सौरभ) रसोई में आया और हस्ताक्षर किया हुआ पर बिना रकम भरे एक चेक मुझे सौंपा और मुझे उसके बैंक खाते से रुपये निकालने को कहा क्योंकि वह फील्ड में जा रहा था। 30 मई, 1999 को उनकी उससे आखिरी बार बात हुई थी, जब उसके छोटे भाई वैभव का जन्मदिन था। उसने 29 जून को पड़ने वाले अपने जन्मदिन पर आने का वादा किया था। लेकिन यह कभी नहीं हो सका।