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Kargil War: कैप्टन मनोज पांडे का आखिरी खत, शहादत के बाद तिरंगे में लिपटे उनके शव के साथ पहुंचा था घर

शहीद मनोज कुमार पांडे।

Kargil War: ‘मैं नहीं जानता अगले ही पल क्या होगा, लेकिन मैं तुम्हें और देश को भरोसा दिलाता हूं कि हम दुश्मन को धकेल देंगे। यहां रात में तापमान माइनस 5 डिग्री हो जाता है।’

भारत और पाकिस्तान के बीच 1999 में कारगिल युद्ध (Kargil War) लड़ा गया था। यह युद्ध दोनों देशों के बीच हुए चार युद्धों में से अबतक का भीषण युद्ध माना जाता है। भारतीय सेना (Indian Army) के लिए इस युद्ध में कई चुनौतियां थीं, जबकि पाकिस्तान ऊंचाई पर होने के कारण काफी फायदे में था।

युद्ध (Kargil War) में हमारे कुल 527 जवान शहीद हुए थे और 1300 जवान घायल हुए थे। इनमें से एक वीर सपूत थे 11 गोरखा राइफल्स के कैप्टन मनोज पांडे (Captain Manoj Pandey), जिन्हें उनकी बहादुरी के लिए ‘परमवीर चक्र’ से सम्मानित किया गया था। उन्होंने अपने परिवार को एक आखिरी खत लिखा था। लेकिन यह खत परिवार तक शहादत के बाद उनके तिरंगे में लिपटे शव के साथ ही घर पहुंचा था।

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इस खत में उन्होंने लिखा था, “ऊंचाई पर होने के कारण यहां लड़ाई करना बेहद मुश्किल है लेकिन शुरुआत में हालात काबू में नहीं थे लेकिन अब सब काबू में है। दुश्मन बंकर में छिपा है और हम खुले में हैं। दुश्मन पूरी प्लानिंग के साथ आया है और वह ज्यादातर चोटियों पर कब्जा कर चुका है। मैं अबतक चार बार मौत से टक्कर ले चुका हूं लेकिन शायद मैंने कुछ नेक काम किए हैं तभी मैं जिंदा बचा हुआ हूं।”

उन्होंने खत में आगे लिखा था, “मैं नहीं जानता अगले ही पल क्या होगा, लेकिन मैं तुम्हें और देश को भरोसा दिलाता हूं कि हम दुश्मन को धकेल देंगे। यहां रात में तापमान माइनस 5 डिग्री हो जाता है। मैं वापस घर लौटने पर आप लोगों से ढेर सारी बातें करूंगा।”

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बता दें कि मनोज ने इस युद्ध (Kargil War) में आगे बढ़ कर अपनी टीम का नेतृत्व किया था। करीब दो महीने तक चले ऑपरेशन में कुकरथांग, जूबरटॉप जैसी कई चोटियों पर दोबारा कब्जा किया गया था। इन सभी जगहों पर कब्जा पाने के बाद उन्हें खालोबार चोटी पर कब्जा करने की जिम्मेदारी दी गई थी।