Kargil War: कैप्टन मनोज पांडे का आखिरी खत, शहादत के बाद तिरंगे में लिपटे उनके शव के साथ पहुंचा था घर
भारत और पाकिस्तान के बीच 1999 में कारगिल युद्ध (Kargil War) लड़ा गया था। भारतीय सेना (Indian Army) के लिए इस युद्ध में कई चुनौतियां थीं, जबकि पाकिस्तान ऊंचाई पर होने के कारण काफी फायदे में था।
शहीद मनोज कुमार पांडेय: एक शूरवीर जिसने रणभूमि में छुड़ा दिए थे दुश्मन के छक्के
मनोज पांडेय बतौर कमीशंड ऑफिसर गोरखा राइफल्स की पहली बटालियन में भर्ती हुए। उनकी तैनाती कश्मीर घाटी में हुई। कारगिल युद्ध (Kargil War) से पहले उन्हें सियाचिन भेजा गया था। मनोज पांडेय (Manoj Kumar Pandey) और उनकी बटालियन के पास विकल्प था कि वे अवकाश ले सकते थे, लेकिन इस परमवीर ने अवकाश लेने से मना कर दिया।
मां से वीरों की कहानियां सुन सेना में हो गया भर्ती, इस शहीद जवान को मरणोपरांत मिला परम वीर चक्र
फार्म भरते समय ही इस वीर ने लिखा था कि उनका अंतिम लक्ष्य परमवीर चक्र पाना है।