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Kargil War: पहाड़ियों पर डेढ़ महीने का सफर, सुनसान रास्तों पर ऐसा था वीर सपूतों का जज्बा

सांकेतिक तस्वीर

Kargil War 1999: युद्ध के दौरान एक वक्त ऐसा आया जब 50 मीटर खड़ी चट्टान पर चढ़ने के दौरान ऊपर से फायरिंग हो रही थी और राजेश (Rajesh Yadav) और उनकी टीम बीच में फंसे थे।

भारत और पाकिस्तान के बीच 1999 में लड़े गए कारगिल युद्ध (Kargil War) के दौरान भारतीय सेना (Indian Army) ने कड़ी मशक्कत के बाद युद्ध में जीत हासिल की थी। युद्ध कारगिल की ऊंची पहाड़ियों पर लड़ा गया था। पाकिस्तान को हर मोर्चे पर फेल कर भारतीय जवानों का डंका बजा था।

कारगिल के सामरिक रूप से महत्वपूर्ण इलाकों पर कब्जा करने के बाद दुश्मन पहाड़ियों पर बम बरसाते थे। इस युद्ध में 26 साल की उम्र में दुश्मनों का सामना करने वाले एक सिपाही हैं राजेश यादव (Rajesh Yadav)। युद्ध के दौरान एक वक्त ऐसा आया जब 50 मीटर खड़ी चट्टान पर चढ़ने के दौरान ऊपर से फायरिंग हो रही थी और राजेश और उनकी टीम बीच में फंसे थे।

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युद्ध के उन दिनों को याद कर वे बताते हैं, “हमने पहाड़ियों पर डेढ़ महीने का सफर तय किया था। सफर के दौरान हमें भारी गोलीबारी का सामना करना पड़ा था। दुश्मन ऊंचाई पर था, लिहाजा हमारी एक चूक हम पर बुरी तरह से भारी पड़ सकती थी। रास्ते सुनसान थे और रात का सफर था।”

वे आगे बताते हैं, “हम 10 से 12 जुलाई तक अलग-अलग जगह समय बिताते रहे। हम 45 दिनों तक ऊपर ही रहे। हमने इंडियन न्यू स्माल राइफल चलाने की प्रैक्टिस की और फिर टीम के साथ दुश्मनों को भेदने के लिए निकल पड़े थे। हम इस दौरान अपनी पीठ पर 25 से 30 किलोग्राम भार लेकर कई किलो मीटर तक पैदल चलते।”

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राजेश यादव (Rajesh Yadav) आगे बताते हैं, “दुश्मनों को अपनी धरती से वापस खदेड़ना ही एकमात्र लक्ष्य था। हम 810 मीटर की रिंग कंटूर के हिल पर चढ़ते हुए अपने बंकर पर पहुंचे और दुश्मनों को धूल चटाकर ही दम लिया। हर सैनिक के सीने में फौलाद और वतन पर मर मिटने का जज्बा था।”