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Kargil War 1999: युद्ध में एक पैर गंवाया पर नहीं छोड़ी नौकरी, इस जवान की बहादुरी है मिसाल

फाइल फोटो

Kargil War 1999: 22 जुलाई, 1999 को पाकिस्तानी दुश्मनों से मोर्चा लेते हुए बटालिक सेक्टर में अपना एक पैर गंवाने वाले इस जवान की बहादुरी एक मिसाल है।

भारत और पाकिस्तान के बीच 1999 में कारगिल युद्ध (Kargil War) लड़ा गया था। इस युद्ध में भारतीय सेना (Indian Army) की जीत हुई थी। युद्ध में हमारे वीर सपूतों ने ऐसा पराक्रम दिखाया था, जिसे यादकर दुश्मन देश के जवान आज भी कांप उठता होगा। पाकिस्तान ने एलओसी पर धोखे से कारगिल के महत्वूपर्ण इकालों पर कब्जा कर लिया था।

इस युद्ध में यूं तो सभी जवानों का अहम योगदान रहा, लेकिन कुछ जवान ऐसे हैं जिन्होंने असहनीय पीड़ा सहने के बाद भी देश सेवा को अलविदा नहीं कहा। ऐसे ही एक जवान कन्नौज के छिबरामऊ तहसील के गांव ब्राहिमपुर निवासी कैप्टन रवींद्र कुमार भी हैं।

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22 जुलाई, 1999 को पाकिस्तानी दुश्मनों से लोहा लेते हुए बटालिक सेक्टर में अपना एक पैर गंवाने वाले इस जवान की बहादुरी एक मिसाल है। जांघ में गोली लगने और 86 घंटे तक ईलाज न मिल पाने की वजह से पैर पर इन्फेक्शन फैला गया था। लिहाजा पैरा गंवाना पड़ा और इसके बाद नौकरी छोड़ने पर विचार आया।

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बच्चे छोटे थे तो नौकरी नहीं छोड़ी और दोबारा सेना के लिए काम शुरू किया गया। इसबार उन्हें एक पैर से ही दोबारा नौकरी शुरू की। दोबारा नौकरी शुरू करने के दौरान इन्हें ट्रेनिंग कैंपों की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। नई जिम्मेदारी को भी उन्होंने बखूबी निभाया और अपना 100 प्रतिशत दिया। अब बच्चे बड़े हो चुके हैं और मां-बाप की मदद के लिए तैयार हैं।