Kargil War 1999: कई जवान ऐसे थे जो जंग के मैदान में ही शहीद हो गए थे। ऐसे ही एक जवान खतौली के पास गांव फुलत जिला मुज्जफरनगर के रहने वाले सतीश कुमार भी थे।
भारत और पाकिस्तान के बीच 1999 में लड़े गए कारगिल युद्ध के दौरान भारतीय सेना का डंका बजा था। पाकिस्तान ने भारत के खिलाफ धोखे से साजिश रची थी। पाकिस्तानी सेना को बुरी तरह से हराने के बाद हमारे वीर सपूतों की बहादुरी की पूरी दुनिया में चर्चा हुई थी। पाकिस्तानी सेना को हराने के बाद और कारगिल की सामरिक रूप से महत्वपूर्ण जगहों से दुश्मनों को खदेड़ने के बाद ही हमारे जवानों ने राहत की सांस ली थी।
वहीं कई जवान ऐसे थे जो जंग के मैदान में ही शहीद हो गए थे। ऐसे ही एक जवान खतौली के पास गांव फुलत जिला मुज्जफरनगर के रहने वाले सतीश कुमार भी थे। वे इस युद्ध (Kargil War 1999) में दुश्मनों से लोहा लेते हुए शहीद हुए थे। उनकी पत्नी विमलेश अपने बच्चों को भी सेना में भर्ती करवाना चाहती हैं।
विमलेश कहती हैं कि जम्मू में सतीश की पोस्टिंग के दौरान कारगिल युद्ध शुरू हुआ। उनकी वटालियन इंजीनियर रेजीमेंट को कारगिल पहुंचने के आदेश हुए थे। ऑपरेशन विजय में उनकी बटालियन ने बड़ी बहादुरी से दुश्मनों से मुकाबला किया था।
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वह आगे बताती हैं, “युद्ध में जाने से पांच दिन पहले ही उन्होंने मुझसे फोन पर बात की थी। इसके बाद 26 जुलाई, 1999 को हमें उनके शहीद होने की खबर मिली थी। वह बम विस्फोट में शहीद हुए थे। मेरा एक बेटा है और दो बेटियां हैं। मैं अपने बच्चों को भी सेना में शामिल करना चाहती हूं ताकि वे भी अपने देश के काम आ सकें।”