Hindi News (हिंदी समाचार), News in Hindi, Latest News In Hindi

आईपीएस विनोद कुमार चौबे: मिसाल बन गई जिनकी शहादत, 22 सितंबर को होंगे रिटायर

शहीद IPS अधिकारी विनोद कुमार चौबे, फाइल फोटो।

अमर शहीद आईपीएस विनोद कुमार चौबे। एक ऐसे पुलिस अफसर जिन्हें सिर्फ अमर बोला नहीं गया, बल्कि अमर रखा जा रहा है। इस वीर सपूत के किस्से आपको अचम्भित करेंगे तो इनके कारनामे गौरवान्वित। शहीद होने के बाद भी उनके सम्मान में उन्हें सेवारत माना जा रहा है। जिस सरकारी आवास में वह रह रहे थे, उस बंगले पर उनका नेम प्लेट आज भी उनके शौर्य का बखान करता है।

सरकारी गाड़ी, गार्ड और गनर बंगले पर रोज अपनी ड्यूटी बजाते हैं। आईपीएस विनोद कुमार चौबे अगर जिन्दा होते तो इसी साल यानी 22 सितंबर, 2019 को रिटायर होते। सरकार उन्हें जीवित मानते हुए नियमों के अनुसार 22 सितंबर को स-सम्मान रिटायर करेगी।

आईपीएस विनोद कुमार चौबे छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव में तैनात थे। बात 12 जुलाई, 2009 की है, राजनांदगांव के मदनबाड़ा से खबर आयी कि बड़ी संख्या में नक्सलियों ने हमला कर दिया है और दो पुलिस जवानों की हत्या कर दी है। विनोद कुमार तत्काल फोर्स ले कर नक्सलियों को मुंहतोड़ जवाब देने निकल पड़े।

अभी रास्ते में ही थे कि अचानक उनके काफिले पर हमला हो गया, चारों तरफ से गोलियां चलने लगीं। उनके ड्राइवर को गोली लग गयी और वह बुरी तरह से घायल हो गया। एसपी चौबे ने खुद गाड़ी संभाला और घायल ड्राइवर को सुरक्षित निकाल इलाज के लिए भेजा और फिर हमलावरों को घेरने उनके पीछे निकल गए।

‘घातक कमांडो’ से कांपते हैं आतंकी, सेना के इस प्लाटून ने अब तक कई ऑपरेशंस किए

नक्सलियों से मुठभेड़ जारी थी कि तभी सूचना मिली, यात्रियों से भरी एक बस गोलीबारी के बीच फंस गयी है। विनोद कुमार अपने जान हथेली पर रख गोलियों के बीच से निकल बस तक पहुंच गए और बस को गोलीबारी के बीच से हटा गांव के लिए सुरक्षित रवाना किया। उधर, जवानों के साथ मुठभेड़ जारी थी। एसपी चौबे साथियों की मदद के लिए पहुंचे। नक्सलियों को ईंट का जवाब पत्थर से मिलने लगा।

हमलावर पीछे हटने पर मजबूर हो गए, लेकिन नियति को कुछ और ही मंजूर था। गोलीबारी के बीच एक धमाका हुआ और विनोद कुमार चौबे वीरगति को प्राप्त हुए। उनके साथ 29 जवान भी बहादुरी से लड़ते हुए वीरगति को प्राप्त हुए। ये हमला, छत्तीसगढ़ के सबसे बड़े नक्सली हमले में एक था।

विनोद कुमार चौबे छत्तीसगढ़ के एकमात्र आईपीएस अफसर हैं जिन्होंने नक्सली हमले में जान गंवाई है। उनके बलिदान के लिए सरकार ने उन्हें कीर्ति चक्र पुरस्कार से सम्मानित किया। यह सम्मान पाने वाले राज्य के पहले अफसर हैं।

विनोद कुमार राजनांदगांव से पहले बलरामपुर, रायपुर, सरगुजा और बस्तर में बतौर पुलिस अधिक्षक कार्यरत रहे। 2003 में बलरामपुर में तैनाती के दौरान झारखंड सीमा पर एक माओवादी के साथ गोलीबारी में घायल हो गए थे। एसपी कांकेर रहते हुए एक नक्सली हमले को नाकाम किया।

उनके इन साहसी कार्यों के लिए वर्ष 2003 में राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित गया था। इसके अलावा साल 2008 में एसपी चौबे के नक्सलियों के खिलाफ चलाए गए अभियान में बहुत सारे नक्सली गिरफ्तार किये गये साथ में भारी मात्रा हथियार और गोला-बारूद जब्त हुआ। इस अभियान ने नक्सलियों के रीढ़ तोड़ कर रख दी थी।

एक बड़े नक्सली लीडर ने एक इंटरव्यू में माना कि विनोद कुमार चौबे ने हमारी जड़ें हिला कर रख दी हैं। ऐसे जांबाज सिपाही थे चौबे साहब। हर साल उनकी शहादत वाले दिन राजनांदगांव के लोग और इस हमले में शहीद हुए जवानों के परिवार वाले विनोद कुमार चौबे के उसी सरकारी आवास पर जुटते हैं और उन्हें याद करते हैं। हम नमन करते हैं देश के इस वीर सपूत को।

NSG: कैसे बनते हैं ब्लैक कैट कमांडो? पढ़िए ट्रेनिंग से लेकर फौलाद बनने की पूरी कहानी