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घायल होने पर जवानों का ऐसे रखा जाता है ख्याल, आसान नहीं होता दुश्मनों से सामना करना

आर्मी हॉस्पिटल में मिलती हैं कई सुविधाएं।

Indian Army: घायल जवानों के चोटिल शरीर से खून रोकने के लिए मरहम पट्टी का इस्तेमाल होता है। जिसे मेडिकल भाषा में फर्स्ट एड कहा जाता है। मरहम पट्टी के दौरान काफी दर्द सहना पड़ता है। 

भारतीय सेना (Indian Army) के जवान अपनी जान की बाजी लगाकर सरहद पर डटे रहते हैं। कई मौकों पर हमारे जवानों ने शहादत के जरिए दिखाया है कि वे भारत मां से कितना प्यार करते हैं। सरहद पर कई बार ऐसी परिस्थितियां बन जाती है जब दुश्मन देश के सैनिकों से सामना हो जाता है।

ऐसे में कई बार जवान घायल हो जाते हैं। घायल जवानों को तुरंत मरहम पट्टी दी जाती है। मरहम पट्टी का फायदा यह होता है कि घायल जवान को शुरुआती ईलाज मिल जाता है और वह बाद में अस्पताल में शिफ्ट कर दिए जाते हैं। दरअसल, घायल होने पर खून काफी मात्रा में बहता है।

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ऐसे में घायल जवानों के चोटिल शरीर से खून रोकने के लिए मरहम पट्टी का इस्तेमाल होता है। जिसे मेडिकल भाषा में फर्स्ट एड कहा जाता है। मरहम पट्टी के दौरान काफी दर्द सहना पड़ता है। क्योंकि शुरुआत में डिटॉल या अन्य एंटीसेप्टिक दवा के जरिए चोट वाली जगह को साफ किया जाता है।

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इसके बाद तुरंत कॉटन और पट्टी का इस्तेमाल कर दवा के साथ फर्स्ड एड दिया जाता है। इसके बाद अन्य मेडिकल ट्रीटमेंट अस्पताल में दिए जाते हैं। हालांकि, किस घायल जवान को अस्पताल भेजा जाए और किसे नहीं यह डॉक्टर तय करते हैं। यह जवानों की चोट की गंभीरता पर निर्भर करता है।