India Pakistan War 1965: भारत और पाकिस्तानी सेना के लिए बहुत जरूरी थी हाजी पीर की पोस्ट, जानें क्यों

सेना ने तय प्लान के मुताबिक हर कदम फूंक-फूंक कर रखा और क्षेत्र पर कब्जा पाया था। 28 अगस्त को हमारी सेना ने हाजीपीर पास फिर से कब्जे में लिया था।

War of 1965

फाइल फोटो।

India Pakistan War 1965: सेना ने तय प्लान के मुताबिक हर कदम फूंक-फूंक कर रखा और क्षेत्र पर कब्जा पाया था। 28 अगस्त को हमारी सेना ने हाजीपीर पास फिर से कब्जे में लिया था। 

भारत और पाकिस्तान के बीच 1965 में भीषण युद्ध लड़ा गया था। इस युद्ध में पाकिस्तान को बुरी तरह से हार का सामना करना पड़ा था। पाकिस्तान को हराकर भारत ने पूरे विश्व को बता दिया था कि भारतीय सेना (Indian Army) कितनी खतरनाक है।

पाकिस्तान को इस युद्ध (India Pakistan War 1965) से पूरे विश्व के सामने शर्मसार होना पड़ा था। इस युद्ध में हाजी पीर की पोस्ट की बेहद अहमियत थी। दरअसल, यह पोस्ट सामरिक रूप से काफी महत्वपूर्ण थी। इस वजह से युद्ध के दौरान हाजीपीर की लड़ाई रणनीतिक रूप से बेहद अहम थी।

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अगर इस दर्रे पर किसी का कब्जा हो तो उसकी श्रीनगर और पुंछ की दूरी मात्र 50-55 किलोमीर रह जाती है। वर्ना 600 किलो मीटर का लंबा रास्ता तय करना पड़ता है। यानी पुंछ से श्रीनगर जाने के लिए पहले जम्मू जाना पड़ता है फिर श्रीनगर।

सेना ने तय प्लान के मुताबिक, हर कदम फूंक-फूंक कर रखा और क्षेत्र पर कब्जा पाया था। 28 अगस्त को हमारी सेना ने हाजीपीर पास फिर से कब्जे में लिया था।

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इस ऑपरेशन में 21 भारतीय जवान शहीद हुए जबकि पाक सेना के 10 जवान ढेर किए गए थे और कई घायल। पहाड़ों पर लड़ाई हमेशा चोटियों पर होती है, ऐसे में इस चोटी पर कब्जा होना सामरिक नजरिए से सबसे जरूरी हो गया था।

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