Indo-China War 1962: युद्ध में हमारी सेना (Indian Army) के पास चीनी सेना के मॉर्डन हथियारों का सामना करने के लिए पर्याप्त हथियार नहीं थे।
भारत और चीन के बीच 1962 में भीषण युद्ध लड़ा गया था। चीन ने इस युद्ध में भारतीय सेना को बुरी तरह से हराया था। चीनी सेना पूरी तैयारी के साथ आई थी जबकि भारतीय सेना (Indian Army) अधूरी तैयारी के साथ जंग के मैदान में उतरी थी।
युद्ध में हार के बाद भारत ने अपनी सोच और रणनीति को बदलने की कोशिश की। दरअसल, इस युद्ध से पहले माना जाता था कि ‘हिंदी-चीनी, भाई-भाई’ हैं। लेकिन युद्ध में चीन की असलियत देखकर भारत ने काफी बदलाव किए। चीन हमेशा से हमारी जमीन हड़पने और विस्तारवाद की नीति पर चलता आया है।
लड़ाई के बाद भारत ने इस तेजी से हथियार खरीदना शुरू किए कि आज हम दुनिया के एक बड़े हथियार खरीदने वाले देश बन गए हैं। वह लड़ाई चीन द्वारा हम पर थोपी गई थी। युद्ध में हमारी सेना के पास चीनी सेना के मॉर्डन हथियारों का सामना करने के लिए प्रर्याप्त हथियार नहीं थे।
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कहा जाता है कि सैन्य मोर्चे पर हमारे सैनिक कमजोर थे। वे तैयार नहीं थे, फिर भी उन्हें सरहद पर जाना पड़ा था। उनके पास दूसरे विश्वयुद्ध के दौर की बंदूकें थीं, जबकि चीनियों के पास एके-47 थीं। भारतीय सैनिकों के पास जूतों, गर्म कपड़ों और आधुनिक उपकरणों की कमी थी।