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उत्तराखंड की धरती का कर्जदार है देश, यहां के जांबाजों ने वतन के लिए दिया है सर्वोच्च बलिदान

भारतीय सेना (Indian Army)

Indian Army: 1962 में हुए भारत-चीन युद्ध, 1965 में पाकिस्तान से युद्ध, 1971 में भारत-पाक युद्ध में उत्तराखंड के जवानों का बेहद महत्वपूर्ण योगदान रहा है।

उत्तराखंड (Uttarakhand) के नौजवान सेना (Indian Army) में भर्ती होने के लिए तत्पर रहते हैं। सेना के भर्ती शुरू हो जाए, तो झटपट टेस्ट देने और एग्जाम की तैयारी शुरू कर देते हैं। पहाड़ की हवा पानी में रहने वाले नौजवान बेहद ही मेहनती और फुर्तीले होते हैं। ट्रेनिंग और फिजिकल के दौरान इन्हें इसका फायदा भी मिलता है।

देश के लिए लगभग हर युद्ध में उत्तराखंड के वीर सपूतों ने अपना अहम योगदान दिया है। इस बात का अंदाजा इसी लगाया जा सकता है कि उत्तराखंड को अभी तक 6 परमवीर और अशोक चक्र, 29 महावीर चक्र, 3 अति विशिष्ट सेवा मेडल, 100 वीर चक्र, 169 शौर्य चक्र, 28 युद्ध सेवा मेडल, 745 सेनानायक, 168 मेंशन इन डिस्पैचिस जैसे मेडल हासिल हुए हैं।

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साल 1948 का युद्ध हो या 1965 का युद्ध या फिर चीन के खिलाफ 1962 का युद्ध। उत्तराखंड के वीर सपूतों ने हमेशा अदम्य साहस का परिचय दिया है। यही नहीं, साल 1971 और साल 1999 में कारगिल क्षेत्र में लड़े गए युद्ध में भी देवभूमि के जवानों ने हर मोर्चे पर दुश्मनों को ढेर किया है। 1962 में हुए भारत-चीन युद्ध, 1965 में पाकिस्तान से युद्ध, 1971 में भारत-पाक युद्ध में उत्तराखंड के जवानों का बेहद महत्वपूर्ण योगदान रहा है।

सिर्फ 1971 के युद्ध में उत्तराखंड के सबसे ज्यादा करीब 250 जवान शहीद हुए थे। इसके अलावा 1965 के युद्ध में उत्तराखंड के 253 जवान शहीद हुए थे, इनमें से 22 वीर सपूतों को सैन्य सम्मान मिला था। दो सैनिकों को महावीर चक्र, 8 वीर चक्र, एक शौर्य चक्र, 6 सेना मेडल और पांच मेंशन इन डिस्पैच उत्तराखंड के शूरवीरों को दिए गए थे।

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सेना (Indian Army) के जवानों को बहादुरी, शौर्य और दुश्मन को नेस्तनाबुद करने के लिए सैन्य सम्मान दिया जाता है। सेना को यह सम्मान मेडल के रूप में मिलता है। जब-जब हमारे जवानों ने अभूतपूर्व साहस का परिचय दिया है, सेना में उन्हें सम्मानित किया गया है।