जब सेना (Indian Army) पूरी तैयारी के साथ पाकिस्तान के खिलाफ उतरी तो दुश्मन देश को हरा कर ही दम लिया। पाकिस्तान के हारते ही दुनिया के नक्शे पर बांग्लादेश सामने आया।
बांग्लादेश (Bangladesh) की आजादी में भारत की अहम भूमिका रही है। बांग्लादेश की आजादी की लड़ाई में भारतीय सेना (Indian Army) ने सीधे पाकिस्तानी सैनिकों से टक्कर ली थी। इसके बाद पाकिस्तान (Pakistan) के दो टुकड़े कर बांग्लादेश को आजाद कराया। सेना ने मुंह तोड़ जवाब देते हुए पाकिस्तान के 90 हजार से अधिक सैनिकों को आत्मसमर्पण करने पर मजबूर किया था
दरअसल, पाकिस्तान में 1970 का चुनाव बांग्लादेश के लिए अहम था। इस चुनाव में बांग्लादेश की आजादी के नायक शेख मुजीबुर्रहमान को भारी जीत मिली और वह सरकार बनाने की कवायद में थे। मुजीबुर्रहमान को गिरफ्तार कर लिया गया था।
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पाकिस्तानी आर्मी और पश्चिमी पाकिस्तान के नेताओं को यह रास नहीं आया और उन्होंने पूर्वी पाकिस्तान में अत्याचार, रेप, गिरफ्तारी शुरू कर दी। शेख मुजीबुर्रहमान पूर्वी पाकिस्तान (बांग्लादेश) की आजादी के आंदोलन को चला रहे थे और पाकिस्तान इसे दबाना चाह रहा था। पाकिस्तान ने इस आंदोलन को जितना दबाना चाहा ये उतना ही बढ़ता रहा।
दूसरी तरफ पूर्वी पाकिस्तान के पीड़ित भारत में शरण लेने को मजबूर हुए। इन्हें शरण देने हेतु निकटवर्ती भारतीय राज्य सरकारों, जैसे पश्चिम बंगाल, बिहार, असम, असम, मेघालय एवं त्रिपुरा सरकारों द्वारा बड़े स्तर पर सीमावर्त्ती क्षेत्रों में शरणार्थी कैम्प भी लगाये गए। शरणार्थी संकट लगातार बढ़ता जा रहा था। एक करोड़ से ज्यादा पूर्वी पाकिस्तान के लोग भारत में घुस चुके थे।
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तत्कालीन पीएम इंदिरा गांधी ने पाकिस्तान के खिलाफ एक्शन लेने के लिए सेना को छूट दे दी। इसके बाद जब सेना (Indian Army) पूरी तैयारी के साथ पाकिस्तान के खिलाफ उतरी तो दुश्मन देश को हरा कर ही दम लिया। पाकिस्तान के हारते ही दुनिया के नक्शे पर बांग्लादेश सामने आया। 1971 में 16 दिसंबर के दिन बांग्लादेश नाम के देश का औपचारिक गठन हुआ। हालांकि इसके बाद भी पाकिस्तान लगातार कारगिल जैसे हमले कर उकसाने की कार्रवाई करता रहा है और भारत समुचित जवाब देकर उसे पीछे हटने पर मजबूर करता है।