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जब एक डाकू ने 1971 के युद्ध में Indian Army के साथ कंधे से कंधा मिलाकर दिया देशभक्ति का परिचय

फाइल फोटो।

War of 1971: इलाके में तब बलवंतसिंह बाखासर का दबदबा था। वे इस इलाके से पाकिस्तान के छाछरो तक आसानी से आते-जाते रहते थे। ऐसे में सेना (Indian Army) ने इस डाकू की मदद ली।

भारत और पाकिस्तान के बीच 1971 के युद्ध में एक डाकू ने भारतीय सेना (Indian Army) की काफी मदद की थी। सेना की मदद करने के बाद इस डाकू के ऊपर चल रहे सारे मामलों को बंद कर दिया गया था। इसके साथ ही इस डाकू को दो हथियारों का लाइसेंस भी दिया गया था। उस डाकू का नाम बलवंतसिंह बाखासर था।

बलवंतसिंह बाखासर को छाछरो की ऐतिहासिक जीत के हीरो के रूप में देखा जाता है। दरअसल, युद्ध के दौरान गुजरात से सटे बाखासर रण इलाके में सेना के पहुंचने के बाद आगे के रास्ते को लेकर असमंजस की स्थिति थी। रण के इस क्षेत्र में रास्ता ढूंढना और आगे बढ़ना काफी मुश्किल हो रहा था।

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इस इलाके में तब डाकू बलवंतसिंह बाखासर का दबदबा था। वे इस इलाके से पाकिस्तान के छाछरो तक आसानी से आते जाते रहते थे। ऐसे में सेना ने इस डाकू की मदद ली। देश सेवा के नाम पर बलवंतसिंह बाखासर ने भी हामी भर दी। फिर क्या था, उन्होंने छाछरो तक सेना को दाखिल करवाया।

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हालांकि, सेना (Indian Army) दाखिल करवाना इतना आसान नहीं था क्योंकि पाकिस्तानी सेना सामने टैंक लेकर खड़ी थी। पर बलवंतसिंह बाखासर ने चतुराई के साथ सेना की जीप के साइलेंसर को खुलवा दिया था। जिससे पाकिस्तानी सेना को लगा कि भारतीय सेना टैंक के साथ चढ़ाई करने वाली है। लिहाजा पाकिस्तानी सेना डर के चलते वहां से पीछे हट गई। इसके बाद छाछरो में दाखिल होते ही सेना ने आगे की कार्रवाई को अंजाम दिया।