War of 1971: सैम मानेक शॉ और जगजीत सिंह अरोड़ा चाहते थे कि भारतीय सेना (Indian Army) हिली पर कब्जा करे ताकि पूर्वी पाकिस्तान में मौजूद पाकिस्तानी सेना को दो हिस्सों में विभाजित किया जा सके।
भारत और पाकिस्तान के बीच 1971 में लड़े गए युद्ध के दौरान भारतीय सेना (Indian Army) ने तीन अहम ऑपरेशन को अंजाम दिया था। इन ऑपरेशन के दम पर पाकिस्तान को भारी नुकसान पहुंचाया गया था। पाकिस्तानी सेना को हराकर ही भारत की सेना ने राहत की सांस ली थी। इस युद्ध में लोंगेवाला, हिली और बसंतर की लड़ाई के दौरान सेना ने शानदार प्रदर्शन किया था।
लोंगेवाला पोस्ट पर तैनात 120 भारतीय सैनिकों ने 40-45 टैंकों के साथ आए 3,000 पाकिस्तानी सैनिकों को छठी का दूध याद दिला दिया था। युद्ध के दौरान ढाका की तरह ही राजस्थान से सटी सीमा पर लोंगेवाला में जीत हासिल हुई थी।
Kargil War: वह शहीद जिसने तीन चौकियों पर फहराया था तिरंगा, 21 साल की उम्र में देश के लिए दी कुर्बानी
वहीं, हिली की लड़ाई को साल 1971 की सबसे खूनी लड़ाई कहा जाता है। इस लड़ाई की शुरुआत युद्ध की औपचारिक घोषणा से 10 दिन पहले 23 नवंबर को ही हो गई थी। सैम मानेक शॉ और जगजीत सिंह अरोड़ा चाहते थे कि भारतीय सेना (Indian Army) हिली पर कब्जा करे ताकि पूर्वी पाकिस्तान में मौजूद पाकिस्तानी सेना को दो हिस्सों में विभाजित किया जा सके।
जब सेना (Indian Army) ने ऐसा किया तो इस एरिया में पहले से भारी संख्या में मौजूद पाकिस्तानी सैनिकों ने भारतीय सेना पर जबरदस्त हमला बोल दिया था। देखते ही देखते भारत के 150 जवान शहीद हो गए थे। ऐसे में इस 1971 की सबसे खूनी लड़ाई कहा जाता है। हालांकि, बाद में भारतीय सेना ने इसपर कब्जा कर लिया था।
ये भी देखें-
बसंतर की लड़ाई भारत के पश्चिमी क्षेत्र में साल 1971 में लड़ी गई महत्वपूर्ण लड़ाइयों में से एक थी। बसंतर की जीत ने पाकिस्तान के हौसले पस्त कर दिए थे। भारतीय सेना (Indian Army) ने इस भीषण युद्ध में पाकिस्तान के 45 टैंकों के परखच्चे उड़ा दिए और दस पर कब्जा कर लिया था। इसमें परमवीर चक्र विजेता लेफ्टिनेंट अरुण खेत्रपाल ने भी अहम भूमिका निभाई थी।