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Vijay Diwas 2020: …जब पायलट के विमान से निकलने लगीं आग की लपटें, ऐसा था साथी जवानों का रिएक्शन

India Pakistan War 1971: इस युद्ध में भारतीय वायुसेना (Indian Air Force) के वीर सपूतों ने अपनी अलग ही छाप छोड़ी थी। पाकिस्तानी सेना को हराने के लिए भारतीय पायलट किसी भी हद तक गुजर गए थे। ऐसे ही एक पायलट विंग कमांडर धीरेंद्र सिंह जाफा (Dhirendra Singh Jafa) भी रहे।

भारत और पाकिस्तान के बीच साल 1971 में भीषण युद्ध लड़ा गया था। इस युद्ध में भारतीय वायुसेना (Indian Air Force) के वीर सपूतों ने अपनी अलग ही छाप छोड़ी थी। पाकिस्तानी सेना को हराने के लिए भारतीय पायलट किसी भी हद तक गुजर गए थे।

ऐसे ही एक पायलट विंग कमांडर धीरेंद्र सिंह जाफा (Dhirendra Singh Jafa) भी रहे। उन्होंने युद्ध के उन दिनों को याद कर कई बातें मीडिया में साझा की हैं। उन्होंन, “मेरे सुखोई विमान में आग की लपटें कॉकपिट तक पहुंच रही थीं। दुश्मन का हमला सफल हुआ था और मेरा विमान क्षतिग्रस्त हो रहा था।”

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धीरेंद्र सिंह जाफा (Dhirendra Singh Jafa) ने बताया, “मैं विमान चल रहा था लिहाजा मुझे अंदाजा नहीं था कि आग की लपटें कितनी तेज हैं। मेरे रेडियो पर मेरे साथी जवान मुझे लगातार संदेश दे रहे थे। उन्होंने मुझसे विमान से इजेक्ट होने के लिए कहा था।”

विंग कमांडर धीरेंद्र सिंह जाफा (Dhirendra Singh Jafa) के मुताबिक, “रेड वन, यू आर ऑन फायर… मेरे हेडफोन पर में अपने साथी पायलट फर्डी की आवाज सुनाई दी थी। इसी दूसरे पायलट मोहन भी चीखे, ‘बेल आउट रेड वन बेल आउट। तीसरे पायलट जग्गू सकलानी की आवाज भी उतनी ही तेज थी। मैंने उनकी बात मानी और इजेक्ट कर गया। इस तरह मैंने अपनी जान बचाई थी।”

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मालूम हो कि युद्ध के दौरान वायुसेना के जवान ही सबसे ज्याद युद्धबंदी बनाए जाते रहे हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि लड़ाकू विमान के जरिए सीमा के नजदीक हमला करने के दौरान विमान क्षतिग्रस्त होते हैं। ऐसे में जवान जब इजेक्ट करते हैं तो पाकिस्तानी जमीन पर लैंड करते हैं। पाकिस्तानी सेना के पकड़े जाने के बाद उन्हें युद्धबंदी बना दिया जाता है।