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कुंदन की शहादत पर गांव वालों को है गर्व, कहा- चीन से बदला ले सरकार

शहीद कुंदन कुमार (फाइल फोटो) और उनका परिवार।

बिहार के सहरसा जिले के जवान कुंदन कुमार भारत-चीन सीमा पर गलवान घाटी में चीनी सेना के साथ हुए हिंसक झड़प में शहीद हो गए। वे जिले के सत्तरकटैया प्रखंड के बिहरा थाना क्षेत्र के आरन गांव के रहने वाले थे। शहीद कुंदन कुमार (Martyr Kundan Kumar) बिहार रेजिडेंट आर्मी जीडी के जवान थे।

वीर जवान के शहीद होने की सूचना उसकी पत्नी बेबी देवी को सेना के अधिकारी ने फोन पर दी। सूचना मिलते ही पत्नी दहाड़ मार कर रो पड़ीं। रोने की आवाज सुनकर शहीद (Martyr Kundan Kumar) की मां सुदामा देवी, पिता निमिंदर यादव सहित अन्य परिजन इकट्ठे हो गए। सारा अपने वीर सपूत को खोने के गम में डूब गया।

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कुंदन के पिता निमिंदर यादव पेशे से किसान हैं। परिवार वाले बताते हैं कि अभी चार दिन पहले ही कुंदन का फोन आया था। पिछले फरवरी में अपने बेटों का मुंडन कराने कुंदन घर आए थे। इसके बाद 27 फरवरी को वह वापस ड्यूटी पर चले गए थे।

शहीद कुंदन कुमार को आर्मी में साल 2012 में नौकरी मिली थी। उनकी पहली पोस्टिंग जम्मू में हुई थी। 11 जुलाई, 2013 को कुंदन की शादी बड़े ही धूमधाम से मधेपुरा जिले के घैलाढ़ प्रखंड के इनरबा गांव में के बहादुर यादव की बेटी बेबी कुमारी के साथ हुई थी। कुंदन यादव (Martyr Kundan Kumar) अपने पीछे पत्नी बेबी देवी के अलावा दो बेटों 6 साल के रौशन और 4 साल के राणा कुमार को छोड़ गए हैं।

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शहीद कुंदन (Martyr Kundan Kumar) ने साल 2008 में हाईस्कूल सौरबाजार से मैट्रिक और साल 2010 में आरपीएम इंटर कॉलेज मधेपुरा से इंटर की परीक्षा उत्तीर्ण की थी। बीए में एडमिशन के बाद ही आर्मी में नौकरी मिल गई थी। उनके परिवार से जुड़े 4 लोग सेना का हिस्सा हैं।

कुंदन की शहादत पर गांव वालों ने कहा कि कुंदन की शहादत हमलोगों के लिए गर्व की बात है। हमें गर्व है कि हमारे बीच का ही एक भाई जाते-जाते हमारे इलाके का नाम रौशन कर गया। लेकिन, इस शहादत का बदला भारत सरकार को चीन से जरूर लेनी चाहिए।