बागडोगरा से शहीद हिमांशु (Martyr Himanshu Negi) का शव सेना के विशेष विमान से दिल्ली लाया जाएगा। शाम सात बजे दिल्ली एयरपोर्ट से जवान का शव एंबुलेंस से काशीपुर स्थित हेमपुर डिपो के पास पांडेय कॉलोनी पहुंचेगा।
सिक्किम में सेना (Army) के वाहन के खाई में गिरने की घटना में शहीद हुए कुमाऊं रेजीमेंट के जवान हिमांशु नेगी (Martyr Himanshu Negi) का पार्थिव शरीर 2 जुलाई की देर रात तक काशीपुर पहुंचेगा। वे उत्तराखंड के काशीपुर के रहने वाले थे। उनकी शहादत की खबर मिलते ही परिवार में कोहराम मच गया। यह संयोग ही कहें कि 2 जुलाई को हिमांशु का जन्मदिन भी है।
हेमपुर डिपो की पांडेय कॉलोनी निवासी हिमांशु नेगी की नियुक्ति 27 मार्च, 2019 को 7-कुमाऊं रेजीमेंट में बतौर सिपाही हुई थी। जम्मू कश्मीर में रहने के बाद वह वर्तमान में पश्चिमी बंगाल की बीनागुड़ी पोस्ट पर तैनात थे। 45 दिन की छुट्टी पूरी करने के बाद हिमांशु 2 जून को ही ड्यूटी पर लौटे थे।
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30 जून की सुबह 11 बजे रेजीमेंट के कमांडिंग ऑफिसर ने हिमांशु की शहादत की खबर उसके परिजनों को दी। शहीद नेगी के पिता हीरा सिंह के मुताबिक, जवान सेना के ट्रक में सवार थे। वे गंगटोक की तरफ जा रहे थे, तभी 17 मील के पास वाहन असंतुलित होकर 600 फीट गहरी खाई में जा गिरा।
जानकारी के अनुसार, 2 जुलाई को बागडोगरा से शहीद हिमांशु (Martyr Himanshu Negi) का शव सेना के विशेष विमान से दिल्ली लाया जाएगा। शाम सात बजे दिल्ली एयरपोर्ट से जवान का शव एंबुलेंस से काशीपुर स्थित हेमपुर डिपो के पास पांडेय कॉलोनी पहुंचेगा।
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शहीद हिमांशु (Martyr Himanshu Negi) भाई-बहनों में सबसे बड़े थे। शुरुआत में परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी। पर, हिमांशु के सेना में भर्ती होने के बाद परिवार की स्थिति में कुछ सुधार आया था। दो साल से वे परिवार का सहारा थे। हिमांशु की इच्छा सेना में घातक कमांडो बनने की थी। इसके लिए वह लगातार अभ्यास कर रहे थे।
हिमांशु का कहना था कि कमांडो का काम बेहद रोमांचकारी होता है। खतरों से खेलने में उसे आनंद आता था। ऐसे में उसकी इच्छा एनएसजी में घातक कमांडो बनने की थी ताकि देश की सुरक्षा में अपना योगदान दे सके।
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हिमांशु बहुत ही मिलनसार स्वभाव के थे। कुमाऊं रेजीमेंट में भर्ती होने के बाद उन्होंने कॉलोनी के कई युवाओं को सेना में भर्ती होने के लिए प्रेरित किया था। छुट्टियों में आने पर वे युवाओं को सेना में भर्ती के टिप्स देते थे। वह कॉलोनी के लड़कों को ट्रेनिंग के लिए अपने साथ पीरूमदारा एकेडमी में ले जाते थे।