Hindi News (हिंदी समाचार), News in Hindi, Latest News In Hindi

हाथ में बम लेकर PAK बंकरों पर कूद पड़े थे एक्का, ‘परमवीर चक्र’ से हुए थे सम्मानित, जानें पूरी कहानी

लांस नायक अल्बर्ट एक्का।

जंग में वे और उनके 14 गार्ड्स रेजीमेंट के साथियों ने अगरतला को पाकिस्तान के हमलों से बचाया था। गंगासागर रेलवे स्टेशन के पास इस जंग में दुश्मनों की कमर तोड़कर रख दी। यह वह जगह थी जो कि सामरिक रूप से बेहद ही महत्वपूर्ण थी।

भारतीय सेना के जवान देश के लिए प्राण न्यौछावर करने और दुश्मन को मौत के घाट उतारने के लिए जाने जाते हैं। ऐसे कई मौके आए हैं जब जवानों ने अपनी जान की बाजी लगाकर दुश्मन से लोहा लिया। पाकिस्तान के खिलाफ तो हमारी सेना का एक अलग ही शौर्य देखने को मिलता है।

सेना के जवानों को कई बार बहादुरी की मिसाल पेश करने का मौका मिला। पाकिस्तान के खिलाफ 1971 के युद्ध में लांस नायक अल्बर्ट एक्का ने मिसाल पेश की थी। उन्होंने बहादुरी की ऐसी मिसाल पेश की जिसे आज भी याद कर सेना के साथ-साथ पूरा देश गर्व महसूस करता है। उनके इस साहस के लिए उन्हें मरणोपरांत सेना के सर्वोच्च सम्मान ‘परमवीर चक्र’ से नवाजा गया।

एक्का ने गोलियों से छलनी होने के बावजूद दुश्मन को पूरी तरह नेस्तनाबूत करके युद्ध में ऐसी मिसाल कायम की जिसे यादकर हर भारतवासी का सीना गर्व से चौड़ा हो जाता है। दरअसल बात 3 और 4 दिसंबर की मध्य रात्रि की है। यह वही समय था जब एक्का की शौर्य गाथा वह खुद लिख रहे थे।

ये भी देखें- भारत-चीन तनाव के बीच चीनी राजदूत का चौंकाने वाला बयान, जानें क्या कहा

जंग में वे और उनके 14 गार्ड्स रेजिमेंट के साथियों ने अगरतला को पाकिस्तान के हमलों से बचाया था। गंगासागर रेलवे स्टेशन के पास इस जंग में दुश्मनों की कमर तोड़कर रख दी। यह वह जगह थी जो कि सामरिक रूप से बेहद ही महत्वपूर्ण थी। यह भारत के लिहाज से बांग्लादेश मुक्तिवाहिनी दस्ते को मदद मुहैया कराने के लिए रणनीतिक रूप से बेहद महत्पूर्ण था। अगरतला के जरिए भारत के खिलाफ बड़े स्तर पर आक्रमण की योजना बनाई गई थी। शिकस्त खाने के बाद पाक पूरी तरह से धराशाई हो गया था और उसे 16 दिसंबर को भारत के आगे पूरी तरह सरेंडर करना पड़ा।

दरअसल एक्का और उनके कुछ साथियों को तत्कालीन पूर्वी पाकिस्तान में गंगासागर पर अपना कब्जा जमाने का फरमान मिला था। गंगासागर अगरतला से सिर्फ 6.5 किलोमीटर दूर है। गंगासागर में पाक पर पकड़ बनाना बहुत ज़रूरी था ताकि सेना अखौरा की तरफ बढ़ सके। वक्त रहते अल्बर्ट एक्का और उनके साथियों ने पाकिस्तान की इस कोशिश को यहां स्थित श्रीपल्ली गांव में पूरी तरह नेस्तानाबूत कर दिया। 3 दिसंबर की सुबह गंगासागर रेलवे स्टेशन पर लड़ाई शुरू हुई थी और भारतीय सेना की दो टुकड़ी ने मोर्चा संभाला। इनमें से एक टुकड़ी की कमान अलबर्ट एक्का के हाथ में थी।

चुनौती बहुत बड़ी थी क्योंकि रेलवे स्टेशन पर हर तरफ दुश्मनों ने विस्फोटक माइन्स बिछा रखी थी। एक चूक पूरी टुकड़ी के लिए भारी पड़ सकती थी। माइन्स के साथ ही पाकिस्तानी सैनिक ऑटोमेटिक रायफल का भी इस्तेमाल कर रहे थे। कुल मिलाकर गंगासागर रेलवे स्टेशन तक पहुंचना मौत को गले लगाना जैसा था। हालांकि सेना आगे बढ़ती गई और जंग शुरू हो गई।

इस दौरान दुश्मन की तरफ से ताबड़तोड़ फायरिंग की गई। लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और इस ऑपरेशन को पूरा करने के लिए सबसे पहले गोलियां उगल रही पाकिस्तान की मशीन गनों और बंकरों को अपना निशाना बनाया। एक वक्त ऐसा आया जब वह जंग में अकेले ही पाकिस्तानी बंकरों पर बम लेकर कूद गए। इससे पाकिस्तानी सेना को भारी नुकसान हुआ और अगरतला को बचा लिया गया। हालांकि इस दौरान एक्का शहीद हो गए जिसके बाद उन्हें मरणोपरांत ‘परमवीर चक्र’ से सम्मानित किया गया।