Hindi News (हिंदी समाचार), News in Hindi, Latest News In Hindi

यह महिला नक्सली अब पहनना चाहती है पुलिस की वर्दी, राजुला की कहानी है एक मिसाल

सांकेतिक तस्वीर।

सरेंडर करने के बाद महिला नक्सली (Woman Naxalite) राजुला ने प्रशासन के सामने 8वीं कक्षा से फिर से पढ़ाई शुरू करने की इच्छा जाहिर की और पुलिस प्रशासन ने हर तरह से उसकी मदद की।

कभी पुलिस को अपना दुश्मन मानने वाली एक महिला नक्सली (Woman Naxalite) अब खुद पुलिस में जाना चाहती है। इस पूर्व महिला नक्सली का नाम राजुला हिदामी है। राजुला हिदामी की कहानी एक प्रेरणा है। 2018 में उसने नक्सलियों के चंगुल से बच कर महाराष्ट्र के गोंडिया के तत्कालीन अधीक्षक हरीश बैजल और अतिरिक्त एसपी संदीप अटोले के सामने सरेंडर कर दिया था।

सरेंडर करने के बाद महिला नक्सली (Woman Naxalite) राजुला ने प्रशासन के सामने 8वीं कक्षा से फिर से पढ़ाई शुरू करने की इच्छा जाहिर की और पुलिस प्रशासन ने हर तरह से उसकी मदद की। उसने मनोहरभाई पटेल हाई स्कूल और जूनियर कॉलेज से अपनी एसएससी परीक्षा 50.80 प्रतिशत के साथ पास की। पढ़ाई में अच्छा करने वाली राजुला अब समाज की सेवा करने के लिए पुलिस में जाना चाहती है।

बिहार: लखीसराय में सुरक्षाबलों को मिली बड़ी कामयाबी, 2 हार्डकोर नक्सली गिरफ्तार

दरअसल, 13 साल की उम्र में राजुला अनजाने में नक्सली गतिविधियों में शामिल हो गई थी। यह साल 2016 की बात है। वह 7वीं में पढ़ रही थी। गढ़चिरौली जिले के लावहारी गांव में गोंड आदिवासी समुदाय से आने वाले राजुला एक दिन भेड़-बकरियों को चराने जंगलों में गई थी। वहीं कुछ नक्सली उसे बहला-फुसला कर कुछ दिखाने के बहाने अपने साथ ले गए।

जब वह वापस घर आने के लिए जिद करने लगी तो नक्सलियों ने फिर उसे बरगलाने की कोशिश की और कहा कि देर हो चुकी है, थोड़ी देर में अंधेरा हो जाएगा और जंगली जानवर उस पर हमला कर सकते हैं, इसलिए वह वहीं पर रात बिताए और सुबह घर चली जाए। राजुला नक्सलियों की नापाक मंशा को नहीं समझ पाई और रात को वह वहीं नक्सली शिविर में रुक गई।

ओडिशा पुलिस के सामने नक्सली एतू कोरसा ने किया सरेंडर, संगठन की खोखली विचारधारा से था परेशान

सुबह उसे पता चला कि नक्सलियों ने उसे बंदी बना लिया है। वह बहुत रोई पर नक्सलियों ने उसे नहीं छोड़ा। जब राजुला अचानक गायब हो गई तो परिवार और गांव वालों ने उसे काफी ढूढ़ा। फिर बाद में उन्हें पता चला कि वह नक्सली बन गई है। राजुला ने नक्सली संगठन में रहते हुए सबसे आधुनिक मोबाइल फोन, टैब, लैपटॉप और संचार नेटवर्क को चलाना सीख लिया।

संगठन में नक्सलियों ने राजुला को बंदूक चलाने के लिए भी प्रशिक्षित किया था। वह एके -47, पिस्तौल और रॉकेट से लेकर ग्रेनेड तक चलाने में वह माहिर हो गई। लेकिन, राजुला इन सबसे खुश नहीं थी। वह संगठन छोड़ना चाहती थी और साल 2018 में एक दिन वह उस अंधेरी दुनिया से भाग निकली। उसने पुलिस के सामने आत्मसमर्पण कर दिया।

सरेंडर करने के बाद उसने बताया था कि कैसे जब भी नक्सली सुरक्षाबलों पर हमला करते थे और जवानों की शहादत होती तो वे जश्न मनाते थे। आत्मसमर्पण करने के बाद प्रशासन की ओर से राजुला को उसके पुनर्वास के लिए 3.50 लाख रुपये का मुआवजा दिया गया। संगठन में रहने के दौरान उसके पिता का निधन हो गया था और उसकी मां ने दोबारा शादी कर ली थी।

ये भी देखें-

इसके अलावा उसकी दो बड़ी बहनों की भी शादी हो गई थी। उसके परिवार में कोई नहीं था जिसके साथ वह रह सकती थी। इसलिए पुलिस विभाग ने उसकी जिम्मेदारी संभाली। उसने आगे की पढ़ाई की और अब वह पुलिस में भर्ती होकर देश और समाज के लिए कुछ करना चाहती है।