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मोहब्बत के दुश्मनों से बच कर भाग निकला ये प्रेमी जोड़ा, सुनाई दर्द भरी दास्तान

लाल आतंक की दुनिया में बड़ा नाम बन चुका सोभी पुलिस के लिए सिरदर्द बन चुका था।

मोहब्बत में बड़ी ताकत होती है। इसी मोहब्बत ने उस खूंखार शख्स को मुख्यधारा में लौटाया, मोहब्बत ने ही उसके सिर पर से नक्सली का तमगा हटाया। कभी वो बीहड़ों में यायावर बनकर भटकता रहता था अब मोहब्बत ने ही उसे सही राह दिखाया। आज हम बात कर रहे हैं दस लाख के इनामी नक्सली सोभी उर्फ नागेंद्र की। साल 2005 में सोभी नक्सली संगठन में शामिल हुआ था। संगठन में शामिल होने के बाद सोभी ने बंदूक के दम पर आतंक और खौफ का राज कायम किया।
एक समय बस्तर के नारायणपुर और आसपास के इलाकों में सोभी की तूती बोलती थी। सोभी पर 50 संगीन अपराध के मामले दर्ज किए गए हैं। संगठन में अपने खौफ की वजह से वो छह बार कंपनी का कमांडर भी बना। लाल आतंक की दुनिया में बड़ा नाम बन चुका सोभी पुलिस के लिए सिरदर्द बन चुका था और पुलिस ने उसे पकड़ने के लिए उसके सिर पर 10 लाख रुपए का इनाम घोषित कर दिया था। लेकिन आज हम बात लाल आतंक के खौफ की नहीं बल्कि इश्क की रुमानियत की कर रहे हैं जिसके आगे आतंक ने घुटने टेक दिए।
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बीहड़ों में नक्सली गतिविधियों को अंजाम दे रहे सोभी की मुलाकात एक दिन संगठन की ही एक महिला नक्सली सुमित्रा से हुई। सुमित्रा साल 2004 से ही नक्सली संगठन से जुड़ी हुई थी और उसने भी लाल आतंक के बहकावे में आकर कई भयानक अपराधों को अंजाम दिया था। जानकारी के मुताबिक सुमित्रा पर 50 थानों में 50 अलग-अलग मामले दर्ज थे। इतना ही नहीं सुमित्रा के सिर पर भी पांच लाख रुपए का इनाम था।
संगठन में एक दिन सोभी की मुलाकात सुमित्रा से हुई। पहली ही मुलाकात के बाद सोभी और सुमित्रा के बीच नजदीकियां बढ़ने लगीं। यह नजदीकियां प्यार में तब्दील हुईं और फिर साल 2013 में इन दोनों ने शादी करने की ठान ली। बीहड़ों में ही इन दोनों ने शादी रचाई। लेकिन खुद को समाज का प्रहरी कहने वाले नक्सलियों को जब इस शादी के बारे में पता चला तो वो अंदर ही अंदर सोभी और सुमित्रा से जलने लगे। 14 साल तक सोभी ने नक्सली संगठन की वफादारी की थी लेकिन अब उसकी दुनिया बसते देख नक्सलियों को यह लव स्टोरी रास नहीं आई। बीहड़ों में नक्सलियों को नाराज कर इश्क करने का अंजाम यह हुआ कि नक्सलियों ने इन दोनों को कई दिनों तक नजरबंद रखा। इतना ही नहीं इस जोड़े पर नक्सलियों ने जुल्म की इंतहा कर दी और सोभी की नसबंदी तक करा दी। इसके बाद सुमित्रा और सोभी ने तय किया कि वो लाल आतंक की इस बेरहम दुनिया से बाहर आएंगे।
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एक दिन मौका पाकर दोनों तमिलनाडु भाग गए। लेकिन बदकिस्मती से नक्सलियों ने इन्हें ढूंढ निकाला और दोबारा जबरदस्ती इन्हें संगठन में शामिल करा दिया। लेकिन सामाजिक जीवन जीने का हक पाने के लिए अंदर ही अंदर मचल रहा यह जोड़ा अब किसी भी कीमत पर इस जिल्लत भरी जिंदगी से बाहर निकलने के बारे में सोचने लगा। आखिरकार साल 2018 में इन दोनों ने पुलिस के सामने सरेंडर कर दिया और समाज की मुख्यधारा से जुड़ गए। सरेंडर करने के बाद सोभी और सुमित्रा ने नक्सलियों की घिनौनी करतूतों की जो कहानी पुलिस के सामने बयां की उसे सुनकर सभी दंग रह गए।
सुमित्रा ने उस वक्त कहा था कि हर औरत अपनी जिंदगी में प्यार और बच्चे चाहती है। यही वजह है कि उसने सोभी के साथ खुशहाल जिंदगी जीने का इरादा बनाया और फिर दोनों ने आगे की जिंदगी साथ बिताने का निर्णय लिया। लेकिन नक्सलियों को यह बात बिल्कुल नामंजूर है। इन दोनों ने बताया कि नक्सल कैंप में जोड़े को साथ रहने की अनुमति नहीं है और नक्सली नेता नहीं चाहते कि संगठन में काम करने वाला कोई भी सामाजिक-पारिवारिक जीवन जिए।
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सोभी और सुमित्रा ने बताया कि किस तरह नक्सली बच्चों की जिंदगी तबाह-बर्बाद कर रहे हैं। सोभी ने बताया कि साल 2004 में जब बस्तर में नक्सलवाद तेजी से अपना पैर पसार रहा था तब बड़ी संख्या मे नक्सली उसके नारायणपुर जिला स्थित गांव में घुसे और जन-अदालत लगाई। नक्सलियों ने गांव के हर परिवार से एक-एक सदस्य मांगे ताकि वो उन्हें नक्सली संगठन में शामिल कर उनका इस्तेमाल कर सकें। लेकिन जब गांव के लोगों ने इस बात से इनकार कर दिया तब नक्सली, हिंसा के दम पर जबरदस्ती हर परिवार के एक-एक सदस्य को अपने साथ ले गए। उस वक्त नक्सली अपने साथ 16 साल के नागू कतलाम को भी साथ ले गए थे। यह नागू कतलाम आगे चलकर उनकी बुरी संगति में सोभी बन गया। सोभी ने बताया कि नक्सली अब भी संगठन में मासूम बच्चों को जोर-जबरदस्ती से शामिल करने की कोशिश में लगे हैं।
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