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नक्सल प्रभावित इलाकों में शिक्षा की बेहतरी के लिए सुरक्षाबलों ने उठाया ये कदम

सुरक्षाबलों ने नक्सल प्रभावित इलाके (Naxal Affected Area) में शिक्षा के लिए एक सराहनीय कदम उठाया है। दरअसल, छत्तीसगढ़ के नक्सल ग्रस्त इलाके कवर्धा के 6 गांवों में 4 साल से सरकारी स्कूल बंद थे। जिसकी वजह से यहां के बच्चों की पढ़ाई छूट गई थी। गांव वाले चाहते थे कि उनके बच्चे पढ़-लिख कर आगे बढ़ें। लेकिन स्कूल बंद होने से ऐसा संभव नहीं हो पा रहा था।

नक्सल मोर्चे पर तैनात सुरक्षाबलों ने बंद स्कूलों को दोबारा खुलवाया है।

अब नक्सल प्रभावित इलाके (Naxal Affected Area) के इन बंद स्कूलों को दोबारा खुलवाया है यहां नक्सल मोर्चे पर तैनात सुरक्षाबलों ने। इसके पीछे सुरक्षाबलों का मकसद था कि बच्चे गांव में ही रहकर पढ़ाई कर सकें और गलत रास्ते पर जाने से बचें। इन बच्चों की पढ़ाई का सारा खर्च पुलिस विभाग उठा रहा है। 10-12 बच्चे ऐसे भी हैं, जिन्हें पुलिस ने कवर्धा के स्कूलों में दाखिला दिलाया है। ये बच्चे यहीं हॉस्टल में रहकर पढ़ाई कर रहे हैं।

स्थानीय युवाओं को किया गया है नियुक्त

इतना ही नहीं, नक्सल प्रभावित (Naxal Affected Area) बोक्करखार में पुलिस ने कोचिंग क्लासेस भी शुरू कराई है, जहां 10वीं-12वीं के 15 बच्चे पढ़ाई कर रहे हैं। ये बच्चे इस साल बोर्ड की ओपन परीक्षा भी देंगे।  खास बात यह है कि इन स्कूलों में स्थानीय युवा जो 10वीं-12वीं पास हैं, उन्हें पढ़ाने के लिए 8 शिक्षक के तौर पर नियुक्त किया गया है। इन्हें निश्चित मानदेय भी दिया जा रहा है। शिक्षा विभाग की ओर से इन स्कूलों में मध्याह्न भोजन भी शुरू करा दिया गया है।

पिछले साल भी कई बंद स्कूलों को खुलवाया था

पिछले साल भी पुलिस ने नक्सल प्रभावित (Naxal Affected Area) पंडरीपथरा और सौरू के बंद स्कूलों को खुलवाया था। पंडरीपथरा में झोपड़ी में कक्षाएं लगती थी, लेकिन अब नया भवन बन गया है। शिक्षक की भी व्यवस्था कर दी गई। स्कूल में कक्षा पहली से 5वीं तक 19 बच्चे पढ़ाई कर रहे थे। समय-समय पर एसपी डॉ. लाल उमेद सिंह और संबंधित थानों की पुलिस इन स्कूलों में पहुंचते हैं। बच्चों को किताबें और यूनिफार्म भी दी गई है।

कवर्धा से करीब 60 किमी दूर मध्यप्रदेश बॉर्डर से लगा हुआ जिले के नक्सल प्रभावित गांव (Naxal Affected Area) बंदूक कुंदा है। गांव में करीब 25 परिवार 150 लोग यहां रहते हैं। साल 2016 में यहां का स्कूल बंद हो गया था। नजदीकी स्कूल 7 किमी दूर था। नक्सलियों के खतरे को देखते हुए माता-पिता अपने बच्चों को वहां पढ़ाई के लिए नहीं भेज रहे थे। जिसके बाद, पुलिस ने बंद स्कूल को खुलवाया। अभी इस स्कूल में भी 28 बच्चे पढ़ाई कर रहे हैं।

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