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Dantewada: सरेंडर करने वाले नक्सलियों ने बताया संगठन का काला सच, साथियों ने ही रची थी हत्या की साजिश

करीब 15 से 20 साल तक नक्सलियों के साथ संगठन (Naxal Organization) में काम करने वाले इन नक्सलियों (Naxalites) को जब अपने ही साथियों से जान का खतरा हुआ तो वे दंतेवाड़ा पुलिस की शरण में आ गए।

छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) के दंतेवाड़ा जिले में ‘लोन वरार्टू’ अभियान के तहत आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों (Naxals) ने संगठनों (Naxal Organization) के काले सच का खुलासा किया है। इन नक्सलियों ने बताया कि संगठन में इनके ही साथी इनके दुश्मन बन गए थे।

करीब 15 से 20 साल तक नक्सलियों के साथ संगठन में काम करने वाले इन नक्सलियों (Naxalites) को जब अपने ही साथियों से जान का खतरा हुआ तो वे दंतेवाड़ा पुलिस की शरण में आ गए।

सरेंडर करने वाले नक्सलियों में नारायणपुर जिले का एक दंपति नक्सली भी है। नारायणपुर के ओरछा ब्लाक के इदवाया गांव की रहने वाली पायके कोवासी नक्सली संगठन (Naxal Organization) में टेलरिंग का काम भी करती थी। करीब17 साल से वह नक्सलियों के लिए कपड़े सिलाई करती थी, जिसका उपयोग सदस्य से लेकर लीडर तक करते थे।

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लेकिन सरेंडर करने की बात को लेकर संगठन के नक्सली उसपर शक करने लगे। उन्होंने उसकी हत्या की साजिश की थी। लेकिन, वक्त रहते पायके को नक्सलियों की साजिश की भनक लग गई। वह अपने पति कमलू उर्फ संतोष के साथ दंतेवाड़ा भाग कर आ गई। समर्पण के दौरान पायके कोवासी ने बताया कि नक्सलियों ने उसके लिए सिलाई मशीन खरीद कर दिया था।

साथ ही कपड़ा, धागा आदि के साथ माप लाकर देते थे, जिसकी वह सिलाई करती थी। इसके साथ ही वह नक्सलियों के साथ मुठभेड़ों और सुरक्षाबलों के खिलाफ संगीन वारदातों को अंजाम देने में शामिल होती थी। उसका पति संतोष उर्फ कमलू संगठन (Naxal Organization) के प्लाटून 16 का पीपीसीएम सदस्य था।

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लेकिन कोड़ेनार थाना क्षेत्र में सक्रिय पायके के भाई विलास ने नारायणपुर में सरेंडर किया तो नक्सली उन पर पुलिस मुखबिरी का शक करने लगे। नक्सली करीब छह महीने से पति-पत्नी की हत्या की योजना बना रहे थे। जब यह जानकारी पायके को मिली तो दोनों आत्मसमर्पण का मन बना लिया और दंतेवाड़ा पुलिस से संपर्क किया।

इसी तरह दो-दो लाख रुपये के इनामी दंपति नक्सली सप्लाई टीम के सदस्य लिंगाराम उइके और 26 नंबर प्लाटून की सदस्य भूमे उइके भी है। 15 साल से अधिक समय से ये लोग नक्सली संगठन (Naxal Organization) के लिए काम कर रहे थे। उन्होंने बताया कि नक्सलियों ने इन दोनों को विवाह की अनुमति तो दी था, लेकिन नसबंदी करा दिया।

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इन दोनों ने बताया कि अब संगठन में और कई तरह की पाबंदी भी लगा दी गई है। यहां तक कि उनके गांव जाने पर भी बंदिश लगा दी गई है। बड़े नक्सलियों के आदेश का पालन नहीं करने पर वे यातनाएं देते हैं और जान से मारने की धमकी दी जाती है।