छत्तीसगढ़ के अति नक्सल प्रभावित दक्षिण बस्तर में एक ओर जहां नए पुलिस कैम्प (Police Camp) खोलने का विरोध हो रहा है, वहीं दूसरी ओर मध्य बस्तर में अतिसंवेदनशील और घोर नक्सल प्रभावित गांव भड्डरीमहु के ग्रामीणों ने पुलिस कैम्प (Police Camp) खोलने की मांग की है।
ग्रामीणों ने 12 दिसंबर को एसपी को अपने बीच पाकर गांव के पास पुलिस कैम्प (Police Camp) खोलने की मांग की ताकि विकास की सुविधाएं उन तक पहुंच सकें। यही नहीं ग्रामीणों ने एसपी के सामने यह गुहार भी लगाई कि साहब हमारे बहन-बेटियों को नक्सलियों के चंगुल से छुड़ाकर वापस लाओ। ‘आमचो बस्तर आमचो पुलिस’ कार्यक्रम के तहत दरभा ब्लॉक के धुर नक्सल प्रभावित ग्राम भड्डरीमहु में 12 दिसंबर को कार्यक्रम हुआ। पुलिस विभाग द्वारा ग्रामीणों और बच्चों को उनकी जरूरत की सामग्री जैसे कम्बल, गर्म कपड़े व बर्तन, बच्चों को कॉपी, किताब, स्कूली जूता, स्वेटर आदि दिया गया।
ग्रामीणों ने पुलिस अधीक्षक दीपक झा के समक्ष पिछले 9 सालों से नक्सली संगठन से जुड़ी गंगी बारसे को वापस घर लाने की बात कही। वहीं, गांव की एक और बेटी दशरी के पिता ने भी दशरी को घर लाने की बात पुलिस से की। एसपी ने कहा कि ग्रामीणों द्वारा पुलिस कैम्प (Police Camp) की भी मांग रखी गई है, जो जल्द से जल्द जगह देखकर पूरी कर ली जाएगी। यह पहली बार हुआ कि किसी घोर नक्सल प्रभावित क्षेत्र में पुलिस को उस गांव के लोग स्थानीय बाजे -गाजे के साथ नाचते हुए करीब एक किलोमीटर तक कार्यक्रम स्थल तक ले गए।
कार्यक्रम स्थल पर जरूरतमंद ग्रामीणों के लिए स्वास्थ्य जांच की सुविधा के साथ-साथ दवाइयां भी उपलब्ध कराई गईं। एक और बड़ी बात यह रही कि इस कार्यक्रम में इस क्षेत्र में एक समय लाल आतंक फैलाने वाले एरिया कमांडर शंकर भी मौजूद रहे। पर शंकर अब नक्सली नहीं बल्कि आत्मसमर्पण कर पुलिस ज्वॉइन कर चुके हैं। उन्होंने ग्रामीणों से उनकी जरूरतों के बारे में बात की। बस्तर के एसपी दीपक झा के मुताबिक, पुलिस हर संभव ग्रामीणों की मदद करने को तैयार है, बस ग्रामीण गलत रास्ते पर न जाएं और अपने बच्चों को शिक्षा दी जाए।
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