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13 सालों तक जंगल में फैलाई दहशत, असलियत सामने आई तो डाल दिए हथियार

Bastar

आयता ने भी जिंदगी के करीब 13 से इसी मुगालते में गुजार दिए कि वह अपने समाज और आदिवासियों के हितों की लड़ाई लड़ रहा है। पर, जब असलियत से सामना हुआ तो संगठन में उसका दम घुटने लगा।

नक्सल संगठनों में विचारधारा नाम की चीज अब रह नहीं गई है। यही वजह है कि संगठन की खोखली विचारधार से तंग आकर आए दिन नक्सली सरेंडर कर रहे हैं। इसी कड़ी में नया नाम है इनामी नक्सली आयता माड़वी का। सरकार की पुनर्वास नीति से प्रभावित होकर खूंखार नक्सली रहे आयता माड़वी ने पुलिस के सामने सरेंडर कर दिया। आयता के सिर पर एक लाख रुपए का इनाम था।

दरअसल, नक्सल संगठन ठगों और अपराधियों का संगठित गिरोह बन चुके हैं। नक्सलियों के बहकावे में आकर कई युवा इन संगठनों से जुड़ते हैं, फिर जब उन्हें असलियत का पता चलता है तो मुख्यधारा में लौट आते हैं। लेकिन इस बीच उनकी जिंदगी तबाह हो जाती है। आयता ने भी जिंदगी के करीब 13 से इसी मुगालते में गुजार दिए कि वह अपने समाज और आदिवासियों के हितों की लड़ाई लड़ रहा है। पर, जब असलियत से सामना हुआ तो संगठन में उसका दम घुटने लगा।

थक हारकर आयता ने बस्तर के एसपी के सामने सरेंडर कर दिया। आयता सरकार की पुनर्वास नीति से काफी प्रभावित है। उसे उम्मीद है कि उसकी आने वाली जिंदगी बेहतर गुजरेगी। 

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आयता माड़वी बस्तर जिले के कलेपाल जनमिलिशिया कमांडर के रूप में सक्रिय था। आयता साल 2007 -08 में कटेकल्याण एरिया कमेटी के माओवादी सुखराम मंगतू द्वारा ग्राम रक्षक दल में शामिल किया गया था। इसके बाद साल 2010 -11 में कटेकल्याण एरिया कमेटी के सचिव जगदीश ने उसे कलेपाल जनमिलिशिया कमांडर बना दिया था। आयता अब तक कलेपाल, कोरोपाल, मारडूम क्षेत्र में काम कर रहा था और अपहरण, हत्या, आगजनी, लूट जैसे जघन्य अपराधों में शामिल था।

गौरतलब है कि बस्तर जिले में कम्युनिटी पुलिसिंग ”आमचो बस्तर, आमचो पुलिस” का संचालन किया जा रहा है। इससे प्रभावित होकर नक्सली मुख्यधारा की तरफ लौट रहे हैं। इसके तहत सरेंडर करने वालों को आर्थिक सहायता भी दी जाती है। इसका लाभ आयता को भी मिला है।

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