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Jharkhand: आदिवासी सरना धर्म कोड के प्रस्ताव को कैबिनेट ने दी मंजूरी

फाइल फोटो।

झारखंड (Jharkhand) में लंबे समय से सरना धर्म कोड को लेकर आंदोलन चलते रहे हैं और विभिन्न स्तरों पर राजनीतिक दलों ने भी इस मुद्दे पर सहमति दी है।

झारखंड (Jharkhand) में कैबिनेट ने आदिवासी/सरना धर्म कोड का कॉलम जनगणना में शामिल करने को लेकर तैयार प्रस्ताव को स्वीकृति दे दी है। इसके बाद यह प्रस्ताव 11 नवंबर को बुलाए गए विशेष सत्र के दौरान विधानसभा से पारित कराया जाएगा। यहां से प्रस्ताव को केंद्र सरकार के पास भेजा जाएगा।

बता दें कि झारखंड (Jharkhand) में लंबे समय से सरना धर्म कोड को लेकर आंदोलन चलते रहे हैं और विभिन्न स्तरों पर राजनीतिक दलों ने भी इस मुद्दे को सहमति दी है। कैबिनेट के फैसलों की जानकारी प्रधान सचिव अजय कुमार सिंह और राजीव अरुण एक्का ने दी।

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एक्का के अनुसार, सरना के अलावा कई अन्य धर्म को माननेवाले आदिवासी भी इस कॉलम के तहत सम्मिलित होंगे इस कारण से आदिवासी/सरना धर्म कोड को लेकर केंद्र सरकार को प्रस्ताव भेजने पर निर्णय लिया गया है। जनगणना के दौरान अगर इसे शामिल किया गया तो यह सातवां कॉलम होगा।

गौरतलब है कि फिलहाल हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई, बौद्ध व जैन धर्मों के लिए अलग से कॉलम हैं और इसके अलावा अन्य धर्म को माननेवालों के लिए अन्य कॉलम है। राज्य में कौशल विकास कार्यक्रम का कार्यान्वयन एक बार फिर उच्च तकनीकी शिक्षा एवं कौशल विकास विभाग से हटाकर श्रम, नियोजन एवं प्रशिक्षण विभाग में जोड़ने के प्रस्ताव को कैबिनेट ने मंजूरी दी है।

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इसके अलावा कुल 20 प्रस्तावों को स्वीकृति दी गई जिसमें अधिसंख्य मामले घटनोत्तर स्वीकृति के हैं। इसके अलावा झारखंड सरकार (Jharkhand Government) ने राजेंद्र आयुर्विज्ञान संस्थान (रिम्स) रांची की एमबीबीएस सीटों की संख्या 150 से 250 करने के लिए भारत सरकार से एमओयू करने के प्रस्ताव पर सहमति देने की स्वीकृति दी गई।

इसके तहत इंफ्स्ट्रक्चर विकास पर लगभग 120 करोड़ रुपये खर्च होंगे जिसमें से 60 फीसद 72 करोड़ रुपये केंद्र सरकार खर्च करेगी और 40 फीसद 48 करोड़ रुपये राज्य सरकार। अन्य खर्च राज्य सरकार के जिम्मे होगा।

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इसके साथ ही राज्य में किसानों से धान अधिप्राप्ति को लेकर सरकार के फैसले को कैबिनेट से घटनोत्तर स्वीकृति दी गई। इसके साथ ही निर्णय लिया गया कि गढ़वा, पलामू और चतरा में धान अधिप्राप्ति के लिए एफसीआइ से आग्रह किया जाएगा और अन्य जिलों में यह काम स्टेट फूड कॉरपोरेशन के जिम्मे होगा। धान लेते ही आधी रकम किसानों को दी जाएगी और शेष राशि के भुगतान के लिए पुराने नियमों का पालन किया जाएगा।