Hindi News (हिंदी समाचार), News in Hindi, Latest News In Hindi

छत्तीसगढ़ के सुकमा में ‘चलता-फिरता थाना’, नहीं लगाना पड़ेगा पुलिस स्टेशन का चक्कर

मोबाइल पुलिस स्टेशन अंजोर रथ

नक्सल प्रभावित इलाकों में ऐसा अक्सर होता है कि गांव के लोग किसी अपराध का एफआईआर दर्ज नहीं करवा पाते। एक तो थानों की दूरी ऊपर से लोगों में जागरुकता की कमी। साथ ही इन क्षेत्रों में आवागमन की सुविधा न होना भी इसका एक बड़ा कारण ऐसा होता है। इसके अलावा नक्सलियों के डर की वजह से भी लोग थाने तक कम पहुंच पाते हैं। ऐसे में प्रशासन ने एक बड़ी ही सराहनीय पहल की है। छत्तीसगढ़ में चलता-फिरता थाना खोला गया है। जिससे अब पुलिस खुद गांव-गांव तक पहुंचेगी और मौके पर ही एफआईआर दर्ज की जाएगी।

इस चलते-फिरते थाने को ‘अंजोर रथ’ नाम दिया गया है। सुकमा जिला मुख्यालय स्थित नए पुलिस अधीक्षक कार्यालय के समक्ष कलेक्टर चंदन कुमार, एसपी शलभ सिन्हा व एएसपी सिद्धार्थ तिवारी ने अंजोर रथ को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। अंजोर का मतलब होता है उजाला। यह एक मोबाइल पुलिस स्टेशन है, जो जिले के विभिन्न इलाकों में जाएगा। खासकर उन ग्रामीण इलाकों में जो नक्सलवाद से अधिक प्रभावित हैं। रथ के साथ चल रही टीम ग्रामीणों को यातायात के नियमों के बारे में भी जानकारी देगी। साथ ही नक्सलवाद को लेकर ग्रामीणों को जागरूक करेगी।

नक्सल प्रभावित इलाकों में यह ‘अंजोर रथ’ काफी कारगर साबित होगा। इसके माध्यम से पुलिस स्वयं अब ग्रामीणों तक पहुंचेगी। सुकमा के पुलिस अधीक्षक शलभ सिन्हा के मुताबिक, नक्सल प्रभावित इलाकों में जहां पुलिस पहुंच नहीं पाती, उन इलाकों में अंजोर रथ के माध्यम से पुलिस पहुंचेगी। रथ के माध्यम से यातायात नियमों की जानकारी देने के साथ ही नक्सलियों की आत्मसमर्पण नीति के बारे में भी प्रचार- प्रसार किया जाएगा। ग्रामीणों की समस्याएं भी सुनेंगे। एफआईआर भी दर्ज होगी।

यह भी पढ़ें: बीएसएफ का ये जवान बना IAS, बॉर्डर पर पोस्टिंग के दौरान की तैयारी

जम्मू कश्मीर से आतंकवाद का सफाया करने की मुहिम, केंद्र सरकार ने उठाया ये बड़ा कदम