टीडीपी विधायक सर्वेश्वर राव और पूर्व विधायक के. सोमा की हत्या करने वाले नक्सलियों में लगभग 20 से 25 महिलाएं शामिल थीं। इन महिलाओं की उम्र 18 से 20 साल के बीच थी। अधिकांश महिला नक्सली छत्तीसगढ़ की थीं। उनमें से कुछ तेलंगाना की भाषा तेलगु बोल रही थीं। मार्च 2018 में एक पुलिस एनकांउटर में सात माओवादी मारे गए थे। इस एनकाउंटर के बाद यह बात सामने आई थी कि भारी संख्या में महिला माओवादियों को भी गोली लगी थी। इन महिला माओवादियों में अधिकांश हैदराबाद की थीं।
गृह मंत्रालय के मुताबिक आदिवासी महिलाएं जल्दी शादी से बचने के लिए वामपंथी चरमपंथी आंदोलन में शामिल हो रही हैं। पुलिस भी गृह मंत्रालय की इस बात से इत्तेफाक रखती है। इतना ही नहीं, आदिवासी माता-पिता लड़कियों को बोझ समझते हैं। उन्हें खुद इस तरह के गैरकानूनी संगठनों में ढकेल रहे हैं। माओवादी संगठनों में आदिवासी महिलाओं की भर्ती ने पुरुषों की भर्ती से कहीं अधिक है। यही वजह है कि माओवादी संगठनों में 50 फीसदी से भी अधिक महिलाएं हैं।
गृह मंत्रालय के मुताबिक डर के चलते आदिवासी मां-बाप बच्चियों को अपने से अलग करना बेहतर समझते हैं। माओवादियों की क्रूरता के चलते बड़ी संख्या में लड़कियां और महिलाएं माओवादी संगठन जॉइन कर रही हैं। पुलिस की मानें तो आदिवासी महिलाओं को माओवादी संगठनों में शामिल करने का अभियान छत्तीसगढ़ में चल रहा है। ये लड़कियां पुलिस फोर्स के साथ होने वाली फायरिंग में ढाल का काम करती हैं।
हालांकि माओवादी के टॉप लीडरशिप जैसे सेंट्रल कमिटी और संगठन की सेंट्रल कमिटी के राजनीतिक में इन्हें नजरअंदाज किया जाता है। हैदराबाद के एक वामपंथी कार्यकर्ता का भी कहना है कि नक्सल कैडर में 50 फीसदी महिलाएं हैं। वे पितृसत्तात्म समाज की जबरदस्ती थोपी जानेवाली कुरीतियों का विरोध करती हैं। मर्जी के खिलाफ शादी से बचने के लिए वे घर से भाग जाती हैं और माओवादी संगठनों में शामिल हो जाती हैं।
इसे भी पढ़ें: आत्म-सम्मान की खातिर इस खूंखार नक्सल कपल ने किया सरेंडर