कोरोना वायरस (Corona Virus) के चलते देशभर में हुए लॉकडाउन (Lockdown) के दौरान अपने पिता को साइकिल पर बैठा कर हरियाणा के गुरुग्राम से बिहार के दरभंगा पहुंचने वाली ज्योति कुमारी (Jyoti Kumari) इस समय सोशल मीडिया पर छाई हुई है। ज्योति के हौसले की चर्चा अमेरिका तक पहुंच गई है।
देश के अलावा विदेशों में भी लोग उसके हौसले को सलाम कर रहे हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की बेटी इवांका ट्रंप ने ज्योति के हौसले को सराहा है और उसकी संघर्षपूर्ण कहानी को अपने ट्विटर अकाउंट पर साझा किया है। ज्योति को भारतीय साइकिलिंग फेडरेशन की ओर से ट्रायल के लिए न्योता आया है।
बता दें कि लॉकडाउन में दरभंगा की रहने वाली 15 साल की ज्योति (Jyoti Kumari) ने अपने घायत पिता को साइकिल पर बैठा कर गुरुग्राम से 8 दिनों में दरभंगा तक 1200 किलोमीटर का सफर तय किया था। ज्योति के इस साहसिक कदम को देखते हुए भारतीय साइकिलिंग फेडरेशन ने ज्योति को ट्रायल के लिए दिल्ली बुलाया है। न्यूज एंजेसी ANI से बात करते हुए ज्योति ने बताया कि मुझे साइकिल में रेस लगाने के लिए फोन आया, मैंने कहा कि मैं अभी तो रेस नहीं लगा सकती हूं क्योंकि मेरे पैर और हाथ सब दर्द कर रहे हैं।
जिसके बाद भारतीय साइकिलिंग फेडरेशन ने उन्हें एक महीने बाद ट्रायल के लिए आने को कहा है। एचटी मीडिया समूह की वेबसाइट लाइव मिंट पर चल रही ज्योति की कहानी को 22 मई को इवांका ट्रम्प ने ट्विटर पर साझा किया। ‘हिन्दुस्तान’ पहले ही ज्योति की संघर्षपूर्ण कहानी सामने ला चुका था, जिसके बाद कई लोग और संगठन उसकी तथा उसके परिवार की मदद को सामने आए हैं।
ज्योति (Jyoti Kumari) आठवीं की छात्रा है। लिहाजा उसकी पढ़ाई में मदद का भरोसा दिया गया है। साइकिलिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया ने ज्योति को अगले महीने ट्रायल के लिए भी बुलाया है। ज्योति ने 22 मई को बताया कि उसे एक कॉल आया है। साइकिलिंग फेडरेशन के चेयरमैन ओंकार सिंह ने उसे शाबाशी के साथ आशीर्वाद भी दिया।
गौरतलब है कि दरभंगा जिला के सिंहवाड़ा प्रखंड के सिरहुल्ली गांव के रहने वाले मोहन पासवान गुरुग्राम में रहकर ऑटो चलाकर अपने परिवार का पालन-पोषण करते थे। कुछ महीनों पहले वे दुर्घटना के शिकार हो गए थे। एक्सीडेंट की खबर मिलने के बाद अपने पिता की देखभाल के लिए ज्योति कुमारी (Jyoti Kumari) गुरूग्राम आ गई थी। ज्योति जनवरी में अपने पिता की सेवा के लिए गुड़गांव गई थी।
इसी बीच मार्च में लॉकडाउन (Lockdown) हो गया और वह गुड़गांव में ही फंस गई। पैसे की तंगी होने लगी और बाप-बेटी के सामनो भूखे मरने की स्थिति पैदा हो गई। स्थिति को देखते हुए ज्येाति ने पिता को साइकिल पर बिठाकर गांव लाने की ठानी। पहले तो ज्योति के पिता नहीं माने। पर बेटी की जिद्द के आगे हार मान गए। इसके बाद ज्योति ने पुरानी साइकिल के पीछे कैरियर पर पिता को बिठाया और 12 सौ किलोमीटर साइकिल चलाकर पिता को लेकर गुड़गांव से दरभंगा अपने गांव सिरहुल्ली पहुंची। उसने लगातार 8 दिनों तक साइकिल चलाई।