Hindi News (हिंदी समाचार), News in Hindi, Latest News In Hindi

2 सालों में बदल गई है कश्मीर की तस्वीर, आतंकवाद और अलगाववाद की जड़ें हुईं कमजोर

File Photo

कश्मीर (Kashmir) के लोग आज खुली हवा में सांस ले रहा है। आतंकवाद और अलगाववाद के नाम पर उसे बरगलाने की कोशिशें कामयाब नहीं हो पा रही हैं।

बीते दो सालों में कश्मीर (Kashmir) की तस्वीर काफी बदल गई है। आतंकवाद और अलगाववाद लगातार कमजोर हो रहा है। सरकार और सुरक्षाबलों की लगातार कोशिशों की वजह से आम कश्मीरी उनसे जुड़ाव महसूस करने लगा है। आम कश्मीरी आज खुली हवा में सांस ले रहा है। आतंकवाद और अलगाववाद के नाम पर उसे बरगलाने की कोशिशें कामयाब नहीं हो पा रही हैं।

बटमालू के 70 वर्षीय अब्दुल समद कहते हैं कि आज के हालात देखकर मैं कई बार महसूस करता हूं कि सच वह है जो आज है। मैं रायशुमारी के नारे लगानी वाली भीड़ में भी शामिल रहा हूं। बंदूक उठाने वालों को भी करीब से देखा है। मैं उस भीड़ में रहा जो यहां निजाम-ए-मुस्तफा का नारा लगाती हुई गलियों में घूमती थी। मैंने कभी वोट नहीं दिया। आज मुझे लगता है कि मैं ख्वाब में जी रहा था। हकीकत वही है जो आज मेरी आंखों के सामने है।

छत्तीसगढ़: बीजापुर में नक्सलियों ने मचाया तांडव, घर से अगवा करने के बाद की युवक की हत्या, चौक पर मिला शव

वहीं, सेवानिवृत्त शिक्षाविद मेहराजुदीन बट बताते हैं कि यहां कोई आसानी से तिरंगा नहीं लहराता था, अगर नजर आता तो हंगामा होता। अब ऐसा नहीं है। दो साल में यहां बहुत कुछ बदल चुका है। जो लोग पाकिस्तान के नाम पर मरते थे, अब किसी से आंख नहीं मिलाते। यहां हम लोग इन मुद्दों पर बात नहीं करते। खुद पर भी गुस्सा आता है और दूसरों पर भी। हमें अपने राज्य का दर्जा मिलना चाहिए।

एक निर्माण कंपनी के मालिक फिरोज फाफू कहते हैं कि यहां सब जानते और मानते हैं कि कश्मीर (Kashmir), हिंदुस्तान का हिस्सा है। यहां कोई राष्ट्रीय ध्वज देखकर पत्थर नहीं मारता। कश्मीर जब देश का हिस्सा है तो फिर कश्मीर को बांटे, तोड़े या जोड़े, यह केंद्र की मर्जी है। आम कश्मीरी को इससे कोई सरोकार नहीं है। उसे सिर्फ अमन चाहिए, रोजगार चाहिए। वह केंद्र सरकार से यही उम्मीद करता है। रही बात कश्मीर मुद्दे की तो वह भी है। आम कश्मीरी यह मानता है कि मोदी सरकार बहुत मजबूत है, वह हमेशा के लिए पाकिस्तान के साथ यह मसला हल कर देगी। अगर यह उम्मीद पूरी होती है तो फिर यहां कोई दूसरी बात नहीं होगी।

ये भी देखें-

सामाजिक कार्यकर्ता सलीम रेशी बताते हैं कि आप कश्मीर (Kashmir) को एक टैक्सी चालक, एक हाउसबोट मालिक या होटल मालिक के नजरिए से मत देखिए। आप बाजारों में भीड़ को भी मत देखिए। आप चंद दिनों तक आम कश्मीरी बनकर कश्मीर में रहिए। आपको सारे सवालों के जवाब मिल जाएंगे। कश्मीर की सियासत, माहौल और कश्मीरी बहुत बदल चुका है।