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भारत में आतंकी और नक्सली संगठन कर रहे बच्चों की भर्ती- संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट

दहशत गर्द ले रहे बच्चों का सहारा- यूएन रिपोर्ट

आतंकवाद और नक्सलवाद के खिलाफ मौजूदा केंद्र सरकार की आक्रामक नीतियों से आतंकी संगठन और नक्सली संगठनों के लिए मुश्किलें बढ़ गई हैं। हालात ऐसे बन पड़े हैं कि उन्हें अपने संगठनों को जिंदा रखने के लिए बच्चों की भर्ती करनी पड़ रही है। जी, संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस की एक रिपोर्ट में यह बात सामने आई है कि ये संगठन लड़ाके के तौर पर बच्चों की भर्ती कर रहे हैं।

बच्चों और सशस्त्र संघर्ष पर 2018 की सालाना रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि कश्मीर में सुरक्षाबलों के अभियानों में और नक्सल गतिविधि वाले क्षेत्रों में बच्चे लगातार मारे जा रहे हैं या घायल हुए हैं।

गुटेरेस ने हालांकि ‘खासतौर से राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के जरिए बच्चों को सुरक्षा प्रदान करने के सरकार के कदमों का स्वागत किया है।’ उन्होंने कहा, ‘मैं सरकार को बच्चों के खिलाफ गंभीर अपराधों को रोकने और रोकथाम के मद्देनजर गंभीर उल्लंघन के अपराधियों को पकड़ने के लिए रोकथाम और जवाबदेही तय करने संबंधी व्यवस्था करने करने के लिए प्रोत्साहित करता हूं।’

रिपोर्ट में कहा गया है कि कश्मीर में ‘पांच बच्चों की भर्ती हिजबुल मुजाहिदीन (दो) और अंसार गजवत-उल-हिंद (एक) सहित आतंकवादी समूहों ने कथित तौर पर गया था। इनमें से कुछ की उम्र 14 साल है। दो अन्य बच्चे लश्कर-ए-तैयबा में शामिल हुए थे और कथित तौर पर नौ दिसंबर को सरकारी बलों के साथ मुठभेड़ में मारे गए थे।’

इसमें कहा गया है कि नक्सलियों द्वारा बच्चों की ‘व्यवस्थित तरीके से भर्ती’ किए जाने की खबर है। रिपोर्ट के मुताबिक बिहार, छत्तीसगढ़, झारखंड, महाराष्ट्र और ओडिशा जैसे राज्यों में नक्सलियों के खिलाफ सुरक्षाबलों की कार्रवाई के दौरान बच्चे भी हताहत हुए हैं।

गुटेरेस की रिपोर्ट में कहा गया है कि संयुक्त राष्ट्र ने वैश्विक स्तर पर 20 देशों में बच्चों के खिलाफ 24,000 से अधिक गंभीर अपराध के मामले सत्यापित किए हैं। रिपोर्ट कहती है कि बच्चों के लिए अफगानिस्तान सबसे खराब जगह रहा। पिछले साल, वहां 3,062 बच्चे हताहत हुए थे।